नायब सुबेदार बाना सिंह 'जम्मू कश्मीर लाइट इंफेंट्री' का हिस्सा थें। 26 जून 1987 को पाकिस्तानी सेना ने करीब 21,000 फीट की ऊचांई पर सियाचिन ग्लेशियर में मौजूद कायद चौकी को अपने कब्जे में ले लिया था। उस वक्त नायब सूबेदार बन्ना सिंह ने पाकिस्तान
उज्जवल मिश्रा वर्ष 1996 से लेकर 2001 के बीच के इतिहास के पन्ने पलटे जाएं तो कश्मीर संभाग की ही तरह आतंक का दंश झेल चुके जम्मू संभाग के लोगों का दर्द भी सामने आ जाएगा। 90 के दशक का दौर जम्मू कश्मीर के लिए एक काले धब्बे से कम
केंद्र की मोदी सरकार भारतीय सेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर, सशक्त और मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय थल सेना के लिए 155 मिमी/52 कैलिबर की K9 वज्र-टी स्वचालित तोपों
मई 1999 में, जब करगिल सेक्टर में पाकिस्तान की घुसपैठ हो रही थी, एक लद्दाखी चरवाहे ताशी नामग्याल (Tashi Namgyal ) ने भारतीय सैनिकों को सचेत किया था। यह साहसिक कार्य भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि उनके द्वारा दी गई जानकारी