लद्दाख बना तीसरा डिविज़न, तो निगल नहीं पा रहे हैं कश्मीर घाटी के नेता और पत्रकार लद्दाख की छोटी-सी खुशी, देखिए कैसे जलकर खाक हुए जा रहे हैं
गवर्नर सत्यपाल मलिक ने आज लद्दाख को तीसरा डिविज़न बनाने के फैसले पर मुहर लगाई, लद्दाख में जश्न का माहौल शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर अचानक ऐसा माहौल बनाया जाने लगा, मानो राज्य प्रशासन ने कोई गलत फैसला कर दिया हो और ये माहौल बनाना शुरू किया। कश्मीर घाटी केंद्रित नेताओं और पत्रकारों ने। जिनको जम्मू कश्मीर राज्य के नाम पर घाटी के पार कुछ दिखायी ही नहीं देता है। आनन-फानन में नेताओं और पत्रकारों ने ट्वीट कर बेमन बधाई तो दी। लेकिन असली भड़ास इन “किन्तु-परन्तु, But” जैसे शब्दों के साथ निकालनी शुरू देखिए। ऐसे रूठने-शिकायतें करने लगे, जैसे अच्छी शादी देखकर कुछ रिश्तेदार अपना खून जलाते हैं, नुक्स निकालते हैं। कमियां निकालते हैं।
सबसे पहले महबूबा मुफ्ती को सुनिये... जिन्होंने एक लाइन में लद्दाख को बधाई तो दी। लेकिन इसके बाद अपनी भड़ास जमकर निकाली।
इसके बाद उमर अब्दुल्ला आये, उन्होंने तो इस फैसले को भेदभावपूर्ण ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लगे हाथ कश्मीरी वोटर रिझाने के लिए कई वायदे भी कर डाले
घाटी के एक और पूर्व एमएलए ई रशीद ने तो इस फैसले को जम्मू कश्मीर के टुकड़े करने साजिश करार दे डाला।
घाटी के 2 और युवाओं के दिल के दर्द को भी देखिए, कैसे ट्वीट से छनकर बाहर आ रहा है।
नेता तो नेता श्रीनगर के पत्रकार भी लद्दाख की ये छोटी-सी खुशी पचा नहीं पाये। जब कभी घाटी पार कर लद्दाख के दुख जाने ही नहीं, तो भला उनके कष्ट दूर होने की खुशी कैसे महसूस कर पायेंगे। ये देखिए कैसे दो कथित अवार्ड विनिंग इंटरनैशनल पत्रकार अपना दुखड़ा तंज कसते हुए निकाल रहे हैं।
जाहिर है लद्दाख के लोगों के लिए खुश होने के बजाय ये तमाम लोग एक क्षेत्रीय भावनाओं को भुनाने में जुटे हैं। जिसकी आग में ये लोग सालों ने अपनी रोटियां सेंकते आये हैं। आज दुखी हैं क्योंकि घाटी के बाहर भी लोगों ने अपने हक के लिए खड़ा होना सीख लिया है और लड़कर जीतना भी जिनको पिछले 70 सालों से इन्होंने कभी बराबर खड़ा होने तक नहीं दिया था।