जम्मू कश्मीर के अलावा देश के अन्य राज्यों में बसे पीओजेके विस्थापितों को सरकार ने उनकी पहचान वापिस लौटाने का ऐतिहासिक फैसला किया है। 1947 में विस्थापित हुए इन 5300 परिवारों को सरकार ने जम्मू कश्मीर का स्थायी निवासी (डोमिसाइल) बनाने का आदेश जारी कर दिया है। राज्य सरकार ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। जोकि जम्मू कश्मीर सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट, रिलीफ रीहैबिलिटेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ने जारी किया है।
इसी के तहत सरकार ने 1989 के बाद कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए उन हिंदू परिवारों को डोमिसाइल देने का फैसला किया है, जोकि जम्मू कश्मीर से निकलकर देश के अन्य हिस्सों में बस गये थे। लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते उनके बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों को राज्य को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (पहले, पीआरसी) नहीं मिल पाया था। यानि ऐसे जम्मू कश्मीर के विस्थापित परिवार जोकि द रिलीफ एंड रीहैबिलिटेशन कमिश्नर (माइग्रैंट्स) के पास रजिस्ट्रेशन कराने से चूक गये थे। उनको भी जम्मू कश्मीर का स्थायी निवासी बनने के लिए एक मौका दिया जा रहा है।
जम्मू कश्मीर सरकार के आदेश के मुताबिक इन लोगों को डोमिसाइल के लिए आदेश जारी होने के एक साल के अंदर अप्लाई करना होगा। जिसके लिए कुछ डॉक्यूमेंट्स भी देने होंगे। देखिए लिस्ट-
कौन हैं 5,300 पीओजेके विस्थापित परिवार?
22 अक्टूबर 1947 के महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू कश्मीर का भारत का अधिमिलन करने की फैसले से पहले ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया और जम्मू कश्मीर का बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया। इस हमले के दौरान पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से करीब 50 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हुए। जोकि जम्मू कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में बसे, इनमें से करीब 5300 परिवार जम्मू कश्मीर में न बसकर देश के अन्य हिस्सों में बसे। इन 5300 परिवारों को पिछले 72 सालों तक अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा।
इनको जम्मू कश्मीर आर्टिकल 35A के चलते कभी जम्मू कश्मीर का पीआरसी नहीं मिला। हाल ही में जम्मू कश्मीर से संबंधित आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए को हटाये जाने के बाद जो नयी डोमिसाइल पॉलिसी बनायी गयी थी। उनमें उन करीब 37,000 पीओजेके विस्थापित परिवारों को तो डोमिसाइल (स्थायी निवासी) मान लिया गया था, जो कि 1947 या फिर 1971 में छंब से विस्थापित होकर जम्मू कश्मीर में ही बसे हुए थे। जम्मू कश्मीर सरकार के उस फैसले में ये 5,300 परिवार छूट गये थे। लिहाजा सरकार ने इन परिवारों को भी स्थायी नागरिकता देकर 73 साल पुरानी मांग को पूरा किया है।