मई 1990, कश्मीर घाटी। कश्मीरी हिंदूओं पर हमले तेज़ हो गये थे। हिंदूओं के ने धीरे-धीरे अपनी पुरखों की जमीन छोड़कर घाटी से बाहर बसना शुरू कर दिया था। लेकिन बहुतेरे ऐसे थे, जिन्हें अपने सदियों से साथ रह रहे मुस्लिम पड़ोसियों पर खुद से ज्यादा भरोसा था। ऐसे ही एक शख्स थे सोपोर में एग्रीकल्चरल कॉलेज में प्रोफेसर के. एल. गंजू। देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में वो एक जाने-माने रिसर्चर माने जाते थे। उनके परिवार को कई बार धमकियां मिली, रिश्तेदारों ने घाटी छोड़ने की सलाह दी। लेकिन केएल गंजू ने इंकार कर दिया।
7 मई 1990 को के.एल. गंजू अपनी पत्नी प्रणा के साथ नेपाल में एक सेमिनार में हिस्सा लेकर वापिस लौट रहे थे। उनके साथ उनका भतीजा भी था। प्रोफेसर के कॉलेज के 2 कर्मचारी उनको रिसीव करने के लिए जीप के साथ भेजा गया। रास्ते में जब वो घर लौट रहे थे, सोपोर ब्रिज के पास आतंकियों ने उनकी जीप को रोक लिया। पता चला आतंकियों को उनके आने की खबर पहले ही दे दी गयी थी। संभव था किसी कॉलेज के साथी या स्टाफ ने ये खबर आतंकियों तक पहुंचायी थी। आतंकियों ने प्रोफेसर के.एल. गंजू को गाड़ी से उतारकर मारा-पीटा और फिर गोली मार नीचे बह रही झेलम में फेंक दिया।
सोपोर ब्रिज की ताज़ा तस्वीर
प्रोफेसर की पत्नी प्रणा गंजू और भतीजे का रो-रोकर बुरा हाल था, आतंकियों ने भतीजे से कहा या तो नदी में कूद जाओ या फिर अपनी चाची के साथ देखो वो क्या करते हैं। आतंकियों ने तीन तक गिना, घबराते हुए भतीजा पानी में कूद गया। इसके बाद आतंकी प्रणा गंजू को अगवा कर फरार हो गये। भतीजे को तैरना नहीं आता था, लेकिन किसी तरह वो अपनी जान बचाने में कामयाब रहा। लेकिन इसके बाद पुलिस प्रणा गंजू की खोज़बीन करती रही। लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। कई दिन बाद प्रोफेसर के.एल. गंजू की लाश मिल गयी। लेकिन प्रणा गंजू का कभी पता नहीं चल पाया। पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक आज तक नहीं।
लेकिन उस दौरान कुछ अखबारों में खबर छपी की प्रणा गंजू के साथ आतंकियों ने कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया। वहशीपन की तमाम हदें पार करते हुए उसको तिल-तिल कर तड़पाया गया और फिर उसकी ह्त्या कर दी गयी। लेकिन पुसिल ने कभी इसको कंफर्म नहीं किया। इसके बाद सोपोर में रहने वाले हिंदूओं में दहशत का एक खौफनाक माहौल पैदा हो गया था, तमाम लोगों ने धीरे-धीरे घाटी खाली कर दी। वही हुआ तो इस्लामिक आतंकी चाहते थे..।