जम्मू-कश्मीर को यूं ही धरती का स्वर्ग नहीं कहा जाता। ये स्थान अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी पूरी दुनिया में जानी जाती है। पर आज भी घाटी के इतिहास से जुड़े पन्नों को पलटा जाए तो ऐसे कई अनगिनत किस्से सामने आते हैं जिन्हें अधिकांश लोग नहीं जानते। कश्मीर घाटी ना सिर्फ अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता बल्कि अपनी प्राचीन धार्मिक स्थलों के लिए भी जानी जाती है। इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है जम्मू संभाग के दक्षिणी हिस्से में स्थित श्री रघुनाथ मंदिर।
महाराजा रणबीर सिंह ने 1860 में कराया था मंदिर का निर्माण
रघुनाथ मंदिर की बुनियाद जम्मू कश्मीर के राजा गुलाब सिंह ने सन 1835 ई० में जम्मू संभाग के दक्षिणी हिस्से में रखी थी। डोगरा शासक श्री रघुनाथ जी को अपना इष्ट देव मानते थे। सन 1860 ई० में महाराजा रणबीर सिंह ने इस मंदिर का कार्य पूर्ण कराया। यह मंदिर मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम को समर्पित है। डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह ने करीब 160 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में कई अमूल्य पांडुलिपियां और धर्मग्रंथों पर आधारित लाइब्रेरी भी थी। मंदिर परिसर में एक स्कूल भी था। स्कूल आज भी है, लेकिन अब मंदिर और स्कूल के बीच में दीवार खड़ी हो चुकी है।
मंदिर वर्ष 1853 और 1860 के बीच बनकर पूरा हुआ था। मुख्य मंदिर की भीतरी दीवार को तीन तरफ से सोने की चादर से सजाया गया है। मंदिर में आम जनता के लिए “लिंगम” और “सैलग्राम” की एक विस्तृत गैलरी है। इस मंदिर का रामनवमी उत्सव देखने लायक होता है।
चारों धाम का होता है दर्शन
इस मंदिर के बाहर पांच कलश देखे जा सकते हैं। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की विशाल मूर्तियां हैं। इस मंदिर में रामायण और महाभारत काल के पात्रों की मूर्तियाँ भी हैं। इस स्थान में चार धामों को एक साथ देखा जा सकता है। यहां आपको रामेश्वरम धाम, द्वारकाधीश धाम, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम के दर्शन होंगे। मंदिर के एक कक्ष में भगवान सत्यनारायण को देखा जा सकता है।
30 मार्च 2002 को आतंकियों ने किया आत्मघाती हमला
रघुनाथ मंदिर को आज से ठीक 20 वर्ष पहले इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा क्रूरता के साथ क्षतिग्रस्त कर दिया गया। मार्च 2002 में आतंकियों ने इस मंदिर पर आत्मघाती हमला कर दिया। इस हमले में कई निर्दोष श्रद्धालु मौत के घाट उतार दिए गए। हमले में 3 सुरक्षाकर्मियों के साथ 11 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 की संख्या में श्रद्धालु घायल हो गए। यह हमला सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर हुआ था। आतंकवादियों द्वारा की गई इस कायरना हरकत ने देश के सभी वर्ग के लोगों की आत्मा को हिला कर रख दिया था।
दोनों आतंकी मारे गए
आतंकी और सुरक्षाबलों के बीच लगभग देर रात तक गोलीबारी चलती रही। इस हमले में दोनों आतंकी मारे गए थे। जानकारी के मुताबिक मंदिर में हमला करने से पहले आतंकियों ने बाजार में तीन धमाके किए थे। उसके तुरंत बाद आतंकियों ने मंदिर में हमला करना शुरू कर दिया। इस हमले में एक आतंकी ने आत्मघाती जैकेट पहन खुद को भी उड़ा दिया। वहीं मंदिर को नष्ट करने की नियत से मंदिर पर ग्रेनेड भी फेंके जिससे मंदिर काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो गया।
24 नवंबर को हुआ दूसरा हमला
अभी रघुनाथ मंदिर एक हमले से उभरा भी नहीं था कि आतंकियों ने 24 नवंबर 2002 को भी हमला कर दिया। नवंबर के आतंकी घटने में करीब 14 भक्तों की मृत्यु हो गई जबकि 45 भक्त घायल हो गए। प्रत्यक्ष दर्शियों ने कहा कि आतंकवादियों ने भारी सुरक्षा वाले रघुनाथ मंदिर पर हथगोले फेंके और अंधाधुंध गोलीबारी की। भारत ने रघुनाथ मंदिर पर हुए इस आतंकी हमले के लिए प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराया।
हालांकि इस आतंकी हमले के बाद से मंदिर को कई वर्षों तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। बाद में वर्ष 2013 में इस मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए पुनः खोला गया। साथ ही मंदिर के जीर्णोधार का भी कार्य 2020 में श्रीनगर स्मार्ट सिटी द्वारा शुरू किया कर दिया गया था। अब इस मंदिर की सुरक्षा व्यस्वथा का कार्यभार भारतीय सेना संभालती है।