![Naik Rabi lal Thapa Maha Vir Chakra Awardee 1962 war Naik Rabi lal Thapa Maha Vir Chakra Awardee 1962 war](https://www.jammukashmirnow.com/hindi/Encyc/2023/10/21/Naik-Rabi-lal-Thapa-Maha-Vir-Chakra-Awardee-1962-war_202310211310171315_H@@IGHT_420_W@@IDTH_802.png)
October,1962 Indo-Sino War : नायक रबी लाल थापा (Naik Rabi Lal Thapa) का जन्म 30 दिसंबर 1925 को नेपाल के ग्राम ओरलानी में हुआ था। महज 18 वर्ष की उम्र में रबी लाल थापा 30 दिसंबर 1943 को भारतीय सेना में शामिल हुए और उन्हें 1/8 गोरखा राइफल्स में नियुक्ति मिली। सेना में भर्ती होने के बाद थापा ने 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अक्टूबर 1962 में जब चीनी सैनिकों ने लद्दाख के श्रीजाप-1 (Srijap) पर हमला किया तो लांस नायक रबी लाल थापा ने अपनी सर्वोच्च वीरता का प्रदर्शन करते हुए चीनी सैनिकों से जमकर लोहा लिया। उनके इस साहसी एवं विशिष्ट साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
21 अक्टूबर 1962
कहानी की शुरुआत होती है 21 अक्टूबर 1962 से, चीन ने धोखे से भारत पर हमला कर युद्ध की शुरुआत कर दी थी। तिब्बत और अक्साई चिन पर अवैध कब्जे के बाद अब चीनियों का अगला लक्ष्य अपनी नापाक विस्तारवादी नीतियों को बढाते हुए लद्दाख में चुशूल हवाई क्षेत्र पर कब्ज़ा करने का था। अगर चीनी इस मिशन में कामयाब हो जाते तो यकीनी तौर पर भारतीय सेना के लिए बड़ी मुसीबत उत्त्पन्न हो जाती। यह क्षेत्र भारतीय वायु सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए और उनके हमलों को रोकने के लिए इस स्थान पर 1/8 गोरखा राइफल्स को तैनात किया गया था। चुशूल हवाई क्षेत्र के सुरक्षा की जिम्मेदारी नायक रबी लाल थापा की टुकड़ी को मिली थी। इस क्षेत्र में स्थित एक अन्य पोस्ट ‘श्रीजाप-1 पर चीनियों ने 21 अक्टूबर, 1962 को भारी मोर्टार और तोपखाने की आग से हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लिया था। चीनियों के हमलों में इस चौकी पर मौजूद भारतीय सैनिकों का रेडियो सेट्स पूरी तरह से तबाह हो चुका था, जिससे सैनिकों का आपस में संपर्क टूट चुका था। इसके अलावा वे अन्य पोस्ट या बेस से भी संपर्क साधने में असमर्थ थे।
![India China War 1962 India China War 1962](https://www.jammukashmirnow.com/hindi/Encyc/2023/10/21/India-China-War-1962_202310211315400329_H@@IGHT_420_W@@IDTH_802.png)
1962 में पैंगोंग झील के किनारे भारतीय जवान
नायक रबी लाल थापा की वीरगाथा
इधर दूसरी चौकी पर कमांडर की पोस्ट संभाल रहे नायक रबी लाल थापा को लम्बे वक्त तक जब श्रीजाप-1 पोस्ट की जानकारी नहीं मिली, तो उन्होंने उस पोस्ट पर तैनात अन्य साथियों की जानकारी जुटाने के लिए एक नांव से श्रीजाप पोस्ट के लिए निकले। रबी लाल थापा अभी श्रीजाप पोस्ट के समीप पहुँचने ही वाले थे कि चौकी से लगभग 1,000 गज की दूरी पर चीनी सैनिकों ने उन्हें और उनकी टुकड़ी को देख लिया। रबी लाल थापा की टुकड़ी को देखते ही दुश्मन सैनिकों ने नाव पर तीन अलग-अलग दिशाओं से भारी गोली बारी और मोर्टार दागने शुरू कर दिए।
दुश्मन के हमले के बीच अपनी सुरक्षा की परवाह ना करते हुए नायक रबी लाल थापा पूरी बहादुरी से आगे बढ़ते रहे। नाव को काफी नुकसान होने के बावजूद, वह पोस्ट से जुडी जानकारी जुटाने में सफल हुए। 21 अक्टूबर की ही शाम उस स्थान से जुड़ी एक अलग सैन्य पोस्ट भी दुश्मनों के निशाने पर थी। दुश्मन के खतरे को भांपते हुए नायक रबी लाल ने थापा ने सुरक्षा की परवाह किए बिना अन्य पोस्ट पर मौजूद अपने साथियों को सुरक्षित निकालने के लिए आगे बढे। पोस्ट के समीप पहुंचकर नायक थापा ने जैसे तैसे बचे हुए अपने साथियों को वहां से सुरक्षित निकाला। लेकिन पोस्ट से अभी कुछ ही दूर निकले थे कि दोनों ही नाव दुश्मनों के निशाने पर आ गई।
1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र में पोस्ट कमांडर नायक रबी लाल थापा जनरल कौल से हाथ मिलाते हुए (तस्वीर साभार - इंडियन एक्सप्रेस)
दुश्मनों के इस हमले में एक नाव दुर्घटनाग्रस्त होकर नदी में पलट गई। अपने साथियों को नदी में डूबता देख नायक रबी लाल थापा बिना समय गवाएं और बिना सुरक्षा की परवाह किए नदी में कूदे और अपने साथियों को सुरक्षित बचाकर वापस नाव के जरिये किनारे लाने में सफल रहे। दुश्मनों के भारी हमलो के बीच भी नायक थापा जिस बहादुरी और अपने कर्तव्य के प्रति सच्ची निष्ठा दिखाई यह वाकई में प्रेरणास्रोत है। नायक रबी लाल थापा को उनकी बहादुरी और कर्तव्य के प्रति निष्ठावान होने के लिए दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। युद्ध के बाद उन्हं नायक से सूबेदार के पद पर पद्दोनत किया गया