1 नवम्बर 1948, 'Battle of Zojila' : भारतीय सेना की वीरता और सैन्य इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण युद्ध की अद्भुत और गौरवमयी कहानी

01 Nov 2023 14:18:23
 
Battle Of Zojila 1948
 
 

Battle Of Zojila :  11,500 फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित ‘जोजिला पास’ भारत का वो हिमालयन पास है जोकि लद्दाख के द्रास सेक्टर में स्थित है। जोजिला पास लेह और लद्दाख को सीधे जम्मू कश्मीर से जोड़ता है। लिहाजा सामरिक रूप से ये बेहद महत्वपूर्ण है। अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने जबरन जम्मू कश्मीर को हथियाने के लिए ऑपरेशन गुलमर्ग शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत कबाइलियों की भेष में पाकिस्तानी सेना जम्मू कश्मीर के बड़े भूभाग पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया था। उसका मुख्य निशाना श्रीनगर पर कब्जा करने का था। श्रीनगर के अलावा पाकिस्तानी सेना ने लेह और लद्दाख को भी जम्मू कश्मीर से अलग करने की योजना बना ली थी। इधर जम्मू कश्मीर को पाकिस्तानी हमलावरों से मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना ऑपरेशन शुरू कर चुकी थी और धीरे धीरे कर श्रीनगर, पुंछ, बडगाम, उरी और बारामूला से पाकिस्तानी हमलावरों को पीछा ढकेलना शुरू कर दिया था।

 
जोजिला की लड़ाई -
 

दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना ने अपनी अन्य योजनाओं के तहत 1948 की शुरुआत में लद्दाख के गिलगित बालतिस्तान और स्कार्दू इन सभी इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया था। उस वक्त लद्दाख की सुरक्षा जम्मू कश्मीर राज्य फोर्स के जिम्मे थी। बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सेना ने हमला कर के इन सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर अपना अवैध कब्ज़ा कर लिया था। मई 1948 आते-आते करगिल और द्रास भी भारत के हाथ से निकल चुके थे। 14 अगस्त, 1948 को स्कार्दू भी पाकिस्तान के कब्जे में चला गया। पाकिस्तान की गुरिल्ला फौज अब जोजिला पास पर मौजूद थी। 11,500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर मौजूद जोजिला पास को लेह का दरवाजा कहा जाता है। गिलगित और स्कार्दू से हर मौसम में इसी के रास्ते लेह और करगिल तक पहुंचा जा सकता था। इसके अलावा सर्दियों में ज्यादा बर्फ़बारी के कारण जोजिला पास बंद होने के साथ लेह और श्रीनगर का संपर्क भी कट जाता। पाकिस्तानी सेना का मुख्य उद्देश्य यही था कि जोजिला को कब्जे में लेकर लद्दाख से जम्मू कश्मीर का संपर्क पूरी तरह से काट दें। लेकिन पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबो में सफल होता उससे पहले ही भारतीय वीर सैनिकों ने हमेशा की तरह अपनी बहादुरी और कुशलता से पाकिस्तान के इन नापाक इरादों को विफल कर दिया। 

  
Zojila War 1948 Stuart Tank
 
 जोजिला की तरफ टैंक के साथ आगे बढती भारतीय सेना 
 
 
77 ब्रिगेड को जिम्मेदारी  
 

चूँकि uउन दिनों लेह और लद्दाख के सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य बल संभल रही थी लिहाजा महाराजा की फौज अपने से कई गुना मजबूत दुश्मन का सामना सही ढंग से नही कर पा रही थी। ऐसे में 1 जून 1948 में भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स को विमान से लेह पहुंचाया गया। इससे लेह में सेना की स्थिति मजबूत हुई। इसके बाद जनरल केएस थिमाया ने जोजिला, द्रास व कारगिल को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने का फैसला किया। ब्रिगेडियर केएल अटल की कमान में सेना की 77 पैरा ब्रिगेड को जोजिला वापस लेने की जिम्मेवारी सौंपी गई। इस ब्रिगेड में जाट, गोरखा, मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट शामिल थी। भारतीय सेना की कार्रवाई 3 सितंबर को शुरू हुई। ज़ोजिला पर कब्ज़ा करने के लिए 2 ऑपरेशन की योजना बनी। पहला ऑपरेशन था 'ऑपरेशन डक' और दूसरा 'ऑपरेशन बाइसन'। चूँकि सेना का 'ऑपरेशन डक' विफल रहा लिहाजा 'ऑपरेशन बाइसन' को अंजाम दिया गया।

 
 
Zojila War 1948 Stuart Tank
 
  1 नवम्बर को स्थिति का जायजा लेने गुमरी पहुंचे आर्मी कमांडर KM करिअप्पा 
 
 
स्टुअर्ट टैंक को 11 हजार फीट की ऊँचाई पर ले जाने की योजना 
 

उस दौरान KM करिअप्पा वेस्टर्न आर्मी कमांडर हुआ करते थे। ‘ऑपरेशन डक’ विफल होने के बाद उन्होंने एक बैठक की और जोजिला को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराने के लिए स्टुअर्ट टैंक के इस्तेमाल करने की योजना बनाई। हालाँकि ये काम सबसे कठिन था, क्योंकि 11 हजार फीट की ऊँचाई पर टैंक को पहुँचाना बेहद मुश्किल था। unउन दिनों उचित मार्ग भी नहीं उपलब्ध थे। पूरी दुनिया में इतनी ऊंचाई पर टैंक कभी नहीं तैनात किए गए थे। यह पहली बार था जब भारतीय सेना इस असम्भव कार्य को संभव करने जा रही थी। प्लान था कि दुश्मन को पहले जोजिला से खदेड़ा जाए फिर द्रास और करगिल की ओर कूच किया जाए।

 
Battle Of Zojila 1948
 
अखनूर में स्टुअर्ट टैंक को अलग-अलग हिस्सों में बांटने का काम 
   

महीने भर के भीतर आर्मी इंजिनियर्स (मद्रास सैपर्स) ने वो ट्रैक तैयार कर लिया जिसके जरिए स्टुअर्ट टैंक्स बालटाल बेस से जोजिला पास तक पहुंच सकते थे। स्टुअर्ट टैंक उन दिनों सबसे घातक टैंक में से एक था। पीर पांजाल रेंज में अखनूर पर मौजूद स्क्वाड्रन की भी मदद ली गई। इंजिनियर्स ने योजना के तहत सबसे पहले टैंक के पुर्जे पुर्जे खोल दिए ताकि उसे लिफ्ट करने में थोड़ी आसानी मिल सके। ऊँचाई पर पहले से मौजूद पाकिस्तानी सेना की नजरों से भी इन टैंक्स को बचाना एक चुनौती थी। 14 से 15 सितम्बर तक आखिरकार जैसे तैसे कर के स्टुअर्ट टैंक्स को कुछ खच्चरों के माध्यम से तो सेना की टुकड़ी ने कुछ पार्ट्स अपने कन्धों पर और कुछ अन्य वाहनों के जरिये बालटाल तक पहुंचाया। बालटाल-ज़ोजी ला ट्रैक लगभग 8 किलोमीटर लंबा केवल खच्चर ट्रैक था। वहां टैंक्स के पार्ट फिर कसे गए और इस तरह एक मुक्कमल टैंक तैयार हुआ।

 

Zojila War 1948 Stuart Tank  
 

1 नवंबर 1948 की दोपहर 2.40 बजे तक टैंक घुमरी बेसिन तक पहुंच चुके थे। उनके पीछे (रॉयल) गोरखा की एक टुकड़ी थी। 1 पटियाला और 4 राजपूत के सैनिक दुश्मनों को उनके ठिकानों से निकाल-निकाल कर मार रहे थे। इतनी ऊंचाई पर टैंक देखकर दुश्मन के होश उड़ गए। आर्टिलरी यूनिट्स ने अपने हमले से हर तरफ धुआं-धुआं कर दिया था। IDR की रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सैनिकों पर जब टैंक से गोले बरसाने शुरू हुए तो वे अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। जनरल थिमाया ने हुक्म दिया कि कुछ किलोमीटर दूर स्थित मचोई पर फोकस किया जाए। उसी रात 1 पटियाला के सैनिक वहां पहुंच गए। एक बार फिर वही नजारा था। जान बचाकर भागता दुश्मन इस बार एक होवित्जर पीछे छोड़ गया।


Zojila War 1948 Stuart Tank  
 

माइनस 20 डिग्री तापमान था, बर्फीले तूफान के बीच दुश्मन की पोजिशंस पर टैंक से हमला करना, वह भी बिना प्रॉपर क्लोदिंग और इक्विपमेंट के... दुनिया में कोई सेना इससे पहले ऐसा नहीं कर सकी थी। भारतीय सेना इसमें सफल रही। 4 नवंबर तक सेना जोजिला पास से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर रह गई थी। आगे ऊंचाई पर दुश्मन मौजूद था। एक बार फिर टैंकों की मदद से उन्हें खदेड़ा गया। 15-16 नवंबर तक सेना द्रास पर कब्जा कर चुकी थी। 17-18 नवंबर को सेना ने करगिल की तरफ कूच किया। 22-23 नवंबर तक करगिल के रास्ते में मौजूद हर दुश्मन का सफाया कर दिया गया।


ज़ोजीला में और उसके बाद द्रास और कारगिल पर कब्ज़ा करने में 1 पटियाला द्वारा निभाई गई भूमिका अद्भुत थी। युद्ध में वीरता को और बलिदान के लिए बटालियन को 8 महावीर चक्र और 17 वीर चक्र मिले। 7 कैवेलरी, 1 पटियाला, 4 राजपूत और मद्रास सैपर्स को बैटल ऑनर "ज़ोजी ला" से सम्मानित किया गया।


Zojila War 1948


 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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