17 जुलाई 1945 : 14 दिसंबर 1971
आजादी के इन 75 वर्षों में भारत ने अब तक 5 युद्ध लड़े हैं। इनमें से 4 युद्धों में भारत का मुकाबला हमारे देश पर अपनी नापाक नजर रखने वाले पाकिस्तान से हुआ है। इन चारों युद्धों की शुरुआत भले ही पाकिस्तान ने की हो पर युद्ध का अंत हमेशा भारत के जाबांज और वीर बहादुर सैनिकों ने किया है और हर युद्ध में जीत का जश्न भारत में मना। आज कहानी माँ भारती के ऐसे ही एक जाबांज फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (Flying Officers Nirmal Jit Singh Sekhon) की, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 6 फाइटर प्लेन को नेस्तनाबूद कर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी थी। फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे जवान हैं जिन्हें उनकी वीरता के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
जीवन परिचय :
17 जुलाई 1945, लुधियाना के एक छोटे से गांव रुरका में एक सिक्ख परिवार में निर्मलजीत सिंह सेखों ने जन्म लिया। निर्मलजीत सिंह सेखों के पिता तारलोचन सिंह सेखों भारतीय वायुसेना का हिस्सा थे। लिहाजा निर्मलजीत का बचपन वीरता और शौर्यता के किस्से सुनकर बीता। इसी बीच ना जाने कब निर्मलजीत की नन्हीं आंखों ने एक भारतीय सैनिक बनने का सपना बुन लिया। अपने इस सपने को साकार करने के लिए निर्मलजीत ने तैयारी शुरू की और 1967 में निर्मलजीत सिंह एक पायलट अफसर बनकर अपने सपने को पूरा किया। नियुक्ति के तक़रीबन 4 वर्षों बाद सेखों के बेहतरीन कार्य को देखते हुए उन्हें फ्लाइंग अफसर के पद पर नियुक्त कर दिया।
1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत दरअसल पाकिस्तान की आंतरिक समस्या से हुई थी। 3 दिसंबर, 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत के बाद भारत के महत्वपूर्ण रक्षा ठिकानों पर पाकिस्तानी हमलों का खतरा बढ़ गया था। लिहाजा श्रीनगर एयरबेस पाकिस्तान से लगती सीमा की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। श्रीनगर एयरबेस पर दुश्मनों द्वारा हमले की पूरी आशंका थी, जो अंततः सच साबित हुई। 14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के 6 सैबर जेट विमानों ने अचानक हमला कर दिया। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट विमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी भी मौजूद थे।
शौर्यगाथा
एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली कि दुश्मन आक्रमण करने वाला है। निर्मलजीत सिंह और घुम्मन ने समय न गंवाते हुए दुश्मनों से लोहा लेने के लिए उड़ान भरने का संकेत दिया और प्रति उत्तर मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। जब कुछ देर तक कोई जवाब नहीं मिला तो निर्मलजीत सिंह ने बिना आर्डर उड़ान भरने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय पाकिस्तान का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोते लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का जेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकर 2 पाकिस्तानी विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ड पर बम गिराया था।
एयरफिल्ड पर हमला
एयरफिल्ड पर बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का संपर्क निर्मलजीत सिंह तथा घुम्मन से टूट चुका था। बम गिरने के कारण सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी। धुएँ और धूल के कारण दूर तक देख पाना बेहद मुश्किल हो रहा था। तभी फ्लाइट कमांडर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई 2 हवाई जहाज हमले की तैयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह संभव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...
'मैं 2 सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा...' उसके कुछ ही क्षण बाद जेट से आक्रमण की आवाज़ सुनाई दी और देखते ही देखते पाकिस्तानी सेना का एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने एक बार फिर अपना सन्देश प्रसारित किया.... 'मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के 2 सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।'
पाकिस्तानी सेना को चटाया धूल
इस संदेश के जवाब में स्क्वाड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजित सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था। इसके बाद जेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। अभी निर्मलजीत सिंह को कुछ और भी करना बाकी था, उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा-
'शायदमेरा जेट भी निशाने पर आ गया है... घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।' शायद यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम संदेश था। अपना लक्ष्य को प्राप्त करते हुए भारतीय सीमा से पाकिस्तानी हमलावरों को खदेड़ कर वीरता का परिचय देते हुए निर्मलजीत सिंह सेखों वीरगति को प्राप्त हो गए।
एयरफोर्स के इकलौते ऐसे जवान जिन्हें मिला परमवीर चक्र सम्मान
1971 में हुए इस युद्ध का नुकसान आखिरकार पाकिस्तान को भुगतना पड़ा और युद्ध के अंत में हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में भारत सरकार ने फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों के साथ 3 और पराक्रमी योद्धाओं को परमवीर चक्र से सम्मानित किया। लेकिन वायु सेना के किसी भी युद्ध में परमवीर चक्र पाने वाले सेनानियों में, केवल निर्मलजीत सिंह सेखों का नाम लिखा गया। आज माँ भारती के वीर सपूत निर्मलजीत सिंह सेखों की पुण्यतिथि पर उनकी वीरता और उनके बलिदान को हमारा नमन।
Ujjawal Mishra