जम्मू-कश्मीर से जुड़े 2 ऐतिहासिक विधेयक लोकसभा में पारित ; जानें इस बिल से किसे मिलेगा फायदा और क्या होगा प्रावधान ?

    06-दिसंबर-2023
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Lok Sabha Passes Jammu Kashmir Reorganisation and Reservation Amendment Bills
 
 
संसद के शीतकालीन सत्र का आज यानि बुधवार (6 दिसंबर) को तीसरा दिन है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) की समाप्ति के 4 साल बाद केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर जम्मू कश्मीर को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है। शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने गत मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से जुड़े 2 विधेयक पेश किए। पहला विधेयक 'जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023' (Jammu Kashmir Reservation (Amendment) Bill, 2023) और दूसरा- 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन (अमेंडमेंट) बिल, 2023' (Jammu Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2023) है। आज बुधवार को लोकसभा में इन दोनों ही बिलों पर चर्चा शुरू हो गई है। सदन में बहस के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज सदन को बिल से जुड़ी जानकारियां दी।
 
 
संसद में पेश जम्मू कश्मीर से संबंधित बिल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों और POJK यानि 'पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए सीट आरक्षित रखने का प्रावधान करता है। वहीं, दूसरा बिल वंचित OBC वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। दोनों ही बिल को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया था जहाँ से उसे पास कर दिया गया है। लोकसभा में पास होने के बाद इन्हें राज्यसभा में पेश किया जाएगा। बहरहाल अब ये दोनों बिल क्या हैं ? और इन बिल के कानून बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या कुछ बदलाव होगा इसे विस्तार से समझते हैं।
 
 
 
 
 
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक, 2023
 

5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 व 35A की बेड़ियों से आजाद कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 2 अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में बाँट दिया गया था। अब ये नया बिल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों को बढ़ाने का प्रावधान करेगा। इस विधेयक के कानून बनने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 114 सीटें हो जाएंगी। यहाँ बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले 111 विधानसभा सीटें होती थीं। 24 सीटें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले हमारे जम्मू कश्मीर के लिए भी अरक्षित हैं, क्योंकि वो हमारा अभिन्न अंग है। हालाँकि वो हिस्सा 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है लिहाजा वहां चुनाव नहीं कराए जा सकते। इस तरह कुल 87 सीटें होती थीं, लेकिन लद्दाख के अलग होने के बाद 83 सीटें ही बची थीं। बिल के कानून बनने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटें बढ़कर 83 से 90 हो जाएंगी। परिसीमन के बाद जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 सीट बढ़ी हैं।

 
बिल से जुड़े फायदे व प्रावधान ?
 

इसके अलावा इस बिल में कश्मीरी प्रवासियों के लिए 2 और POJK से विस्थापित नागरिकों के लिए 1 सीट आरक्षित होंगी। 2 कश्मीरी प्रवासियों में से 1 सीट महिला के लिए आरक्षित होगी। कश्मीरी प्रवासी और विस्थापित नागरिकों को उपराज्यपाल नामित करेंगे। बिल पास होने के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में आतंकी हिंसा के कारण अपने घर से बेघर हुए कश्मीरी हिंदुओं को भी आवाज मिल सकेगी। इससे वह जम्मू कश्मीर की विधानसभा में ही नहीं विधानसभा के बाहर भी सशक्त होंगे। बताया जा रहा है कि ये तीनों सीटें जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों से अलग होगी। इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर में 93 सीटें हो जाएंगी। इसके साथ ही अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 16 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से SC के लिए 7 और ST के लिए 9 सीटें रखी गईं हैं।

 
 
 
ठीक इस प्रकार 1947, 1965 और 1971 में पाकिस्तानी आक्रमण के दौरान POJK से विस्थापित हुए लोगों की लम्बे समय से मांग थी कि उन्हें जम्मू कश्मीर विधानसभा में आरक्षण मिले या फिर POJK के कोटे से आरक्षित सीटों में कुछ पर चुनाव कराया जाए। जो संभव नहीं हो सका, लेकिन अब उनके लिए समुदाय के एक योग्य व्यक्ति को उपराज्यपाल विधानसभा में मनोनीत कर सकेंगे। सरकार के इस कदम से POJK विस्थापितों की आवाज भी जम्मू कश्मीर विधानसभा के जरिए पूरी दुनिया में गूंजेंगी। अभी तक सभी सुख सुविधाओं से उपेक्षित रहे इस आबादी से जुड़े मुद्दों पर बात हो सकेगी। आज तक जहाँ इनकी बात सुनने वाला कोई नहीं था, वहीं इस बिल के लागू होने के बाद गुलाम जम्मू कश्मीर में हो रहे पाकिस्तान के जुल्म को दुनिया के समक्ष रखा जा सकेगा और उसे पाकिस्तान से मुक्त कराने की कवायद भी शुरू होगी।
 
 
कहाँ कितनी बढ़ेंगी विधानसभा सीटें ?
 

जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में 1-1 सीट बढ़ाई गई है। वहीं, कश्मीर संभाग में कुपवाड़ा जिले में 1 सीट बढ़ाई गई है। जम्मू संभाग के सांबा जिले में रामगढ़, कठुआ में जसरोता, राजौरी में थन्नामंडी, किश्तवाड़ में पड्डेर-नागसेनी, डोडा में डोडा पश्चिम और उधमपुर में रामनगर सीट नई जोड़ी गईं हैं। वहीं, कश्मीर संभाग के कुपवाड़ा जिले में ही 1 सीट बढ़ाई गई है। कुपवाड़ा में त्रेहगाम नई सीट होगी। यानि अब कुपवाड़ा में 5 की बजाय 6 सीटें होंगी

 
जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023
 

जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 SC-ST और सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने का प्रावधान करता है। बिल के मुताबिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से उन्हें पिछड़ा माना जाएगा, जिनके गांव LOC और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास हैं और सरकार ने उन्हें पिछड़ा घोषित कर रखा है। इस बिले के पास होने से जम्मू कश्मीर में शैक्षिक, सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचितों के साथ हो रहा अन्याय भी दूर होगा, क्येांकि अब आरक्षण संशोधन विधेयक जम्मू कश्मीर में अन्य पिछड़ा वर्ग के लाभ को सुनिश्चित करेगा। जम्मू कश्मीर में अन्य पिछड़ा वर्ग नहीं था बल्कि यहां OAC जिसे 'अदर सोशल कास्ट' कहा जाता है, का वर्ग है और उसमें गिनी-चुनी जातियां शामिल हैं। इससे पिछड़ों के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं पूरी तरह से लागू नहीं हो पाती थीं। अब 'अदर सोशल कास्ट' के स्थान पर 'ओबीसी' हो जाएगा। इसके अलावा गुज्जर-बक्करवाल समुदाय की तरह पहाड़ी वर्ग को भी आरक्षण मिलेगा। विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है।

 
 
 
 
आतंकवाद का जिक्र कर कांग्रेस पर बरसे गृहमंत्री अमित शाह  
 
 
बिल पर चर्चा के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 'मैं जो विधेयक (जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023) लेकर आया हूं वो 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का विधेयक है। अमित शाह ने आंकड़े देते हुए कहा कि 80 के दशक के बाद जम्मू कश्मीर में जब आतंकवाद ने पैर पसारना शुरू किया तब, आतंकवाद से पीड़ित करीब 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग जम्मू कश्मीर से देशभर में विस्थापित होने को मजबूर हुए। उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार विधेयक लाई है। अगर वोट बैंक के बारे में सोचे बिना शुरुआत में ही आतंकवाद से निपटा जाता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर नहीं जाना पड़ता। 
 
 
41,844 परिवार विस्थापित
 
 
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है। POJK विस्थापितों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान ने 1947 में जम्मू कश्मीर पर कबाइलियों के साथ हमला किया, जिसमें लगभग 31,789 परिवार विस्थापित हुए। 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान 10,065 परिवार विस्थापित हुए। 1947, 1965 और 1969 के इन तीन युद्धों के दौरान कुल 41,844 परिवार विस्थापित हुए। यह लोग जम्मू समेत देश के कई हिस्सों में जीवन गुजरने को मजबूर हुए। लेकिन आज तक उनकी सुध नहीं ली गई। लेकिन यह यह बिल उन लोगों को अधिकार देने का है, उन लोगों को प्रतिनिधित्व देने का एक प्रयास है।
 
 
नेहरु की गलती से बना POJK ! 
 
 
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ने जवाहर लाल नेहरू की 2 गलतियों की वजह से समस्याओं को झेला है। नेहरु की गलती नहीं बल्कि वह नेहरु का ब्लंडर था। इनमें पहली गलती सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर को हासिल किए बिना 'संघर्ष विराम' की घोषणा करना और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना शामिल था। यदि जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाए होते, तो आज POJK हमारा हिस्सा होता और हमें यह बिल लेकर आने की जरुरत भी नहीं होती।