आतंकवाद का संरक्षक, आतंकियों का मसीहा हमारा पडोसी देश पाकिस्तान आज अपनी ही लगाईं आग में बुरी तरह से जल रहा है। गंभीर आर्थिक समस्याओं से उपजे हालात के बाद अब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है। लेकिन आज से ठीक 3 से 4 वर्ष पहले तक पाकिस्तान में कोई हलचल होती थी तो उसका सीधा असर जम्मू कश्मीर में देखने को मिलता था। अलगाववाद और इस्लामिक कट्टरपंथियों की स्वार्थ की राजनीति ने कश्मीर घाटी को दशकों तक आतंकवाद और हिंसा की आग में जलाए रखा। वहां के नौजवानों के हाथों में हथियार थमाने का काम किया। पाकिस्तान ने हर संभव भारत को तोड़ने का प्रयास किया। लेकिन आज परिस्थितियाँ पूरी तरह से बदल चुकी हैं, आज भारत को आतंकवाद और हिंसा की आग में जलाने वाला पाकिस्तान खुद सुलग रहा है।
हिंसा की आग में पाकिस्तान, G-20 की तैयारी में जम्मू कश्मीर
पाकिस्तानी अवाम अपनी सेना और सरकार के खिलाफ सड़कों पर है। देश ही नहीं विदेशों में भी आजादी के नारे लग रहे हैं। यानि पाकिस्तान अपनी काली करतूतों का फल आज खुद भुगत रहा है। पर आज वहीं जम्मू कश्मीर में हालात बदल चुके हैं। कई दशकों तक अशांत रहने वाला जम्मू कश्मीर आज शांत नजर आ रहा है। घाटी में बदलाव और विकास की नीतियों का सीधा और साफ असर नजर आ रहा है। आज आम कश्मीरी इस माह होने वाली G-20 बैठक में आने वाले अपने मेहमानों के स्वागत में व्यस्त है। ज्ञात हो कि श्रीनगर में 22 से 24 मई तक G-20 सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है और इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कश्मीरी इस आयोजन को पर्यटन की संभावनाओं से दुनिया को रूबरू कराने के अवसर पर तौर पर देख रहे हैं। हालाँकि इस बीच यह बात अलग है कि आतंकवाद और अलगाववाद समर्थक फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती का पाकिस्तान में उपजे हालात के बीच पाकिस्तान प्रेम जागा और उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त कर दी।
जम्मू-कश्मीर की संस्कृति से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान
श्रीनगर में आयोजित होने वाली G-20 सम्मेलन कश्मीर घाटी में आए बदलाव के कारण ही संभव हो पाया है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 व 35A की बेड़ियों से आजाद होने के बाद आज जम्मू कश्मीर में तमाम बड़ी परियोजनाएं तेज गति से लागू हो रही हैं। दलितों, शोषितों को उनका हक़ मिला है। केंद्र सरकार के अथक प्रयास के बाद श्रीनगर अब स्मार्ट सिटी के तौर पर तेजी से विकसित हो रहा है। आतंकवाद, पत्थरबाजी व अलगाववाद आज अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। लिहाजा इस माहौल में घाटी में आयोजित G-20 सम्मेलन जम्मू कश्मीर में पर्यटन की संभावनाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित करने का एक बेहतर अवसर है।
G-20 के आयोजन से निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे
जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार होने वाली इतनी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय बैठक में विदेशी मेहमान जम्मू-कश्मीर की संस्कृति, यहां के नृत्य-संगीत के अलावा डोगरा, चिनाब वैली, पीर पंजाल व कश्मीरी संस्कृति से रूबरू होंगे। G-20 की प्रस्तावित बैठक के मद्देनजर आने वाले सभी विदेशी मेहमानों को डल झील के किनारे आयोजित मेगा कल्चरल शो में उन्हें यहां के रंग से परिचित कराया जाएगा। इसके लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू है। यह आयोजन 22 मई की शाम को होना है। 45 मिनट के इस कार्यक्रम में लाइट एंड साउंड का अद्भुत नजारा प्रस्तुत करने के लिए दिन-रात तैयारियां की जा रही हैं। बहरहाल श्रीनगर में होने वाले G-20 सम्मेलन को लेकर जम्मू-कश्मीर के उद्योगपति भी बेहद उत्साहित है। उनका मानना है कि G-20 सम्मेलन से जम्मू-कश्मीर से उत्पादों के निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे।
विकास की नई गौरवगाथा लिखने में व्यस्त जम्मू कश्मीर
बहरहाल वर्ष 1947 में भारत से अलग होकर अस्तित्व में आया पाकिस्तान ही जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा व अलगाववाद का जनक और पोषक रहा है। यह बात किसी ना छिपी है ना ही छिपेगी। पाकिस्तान के आवैध कब्जे वाले जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के भीतर स्थित आतंकवाद की फैक्ट्रियों में ही जम्मू कश्मीर में नागरिकों का खून बहाने वाले आतंकी तैयार होते हैं। पाकिस्तान ने बेशक कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा से खुद को अलग दिखाने की कोशिश की है, लेकिन वह हर मंच पर कश्मीरी अलगाववादियों का समर्थन करता नजर आया है। लेकिन आज पाकिस्तान अपनी ही लगाईं आग की चपेट में हैं और हमारा जम्मू कश्मीर शांत वातावरण में विकास की नई गौरवगाथा लिखने में व्यस्त।