#RememberingOurKargilHeroes : 'तोलोलिंग' चोटी को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने और दुश्मनों को मौत के घाट उतारने वाले मेजर विवेक गुप्ता की वीरगाथा
    13-जून-2023
 
battle Of tololing Major Vivek Gupta MVC
 
 
Kargil War Heroes : 3 मई 1999 से शुरू और 26 जुलाई 1999 को भारत की विजय के साथ खत्म हुआ कारगिल युद्ध देश के वीर सैनिकों के वीरता की वो कहानी है जिसके किस्से सुनने के बाद हरेक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है और अपने वीर बलिदानियों को याद कर हर आखें नम हो जाती है। आज की कड़ी में हम बात करेंगे माँ भारती के ऐसे ही वीर सपूत मेजर विवेक गुप्ता की शौर्यगाथा की। जिनकी बहादुरी और उत्तम युद्ध कौशल के आगे पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेंकने पर मजबूर होना पड़ा।  
 
 
परिचय
 
 
मेजर विवक गुप्ता का जन्म 2 जनवरी सन 1970 को देहरादून, उत्तराखंड में हुआ था। उनके पिता कर्नल बी.आर.एस. गुप्ता भी भारतीय सेना में थे। सेना की पृष्ठभूमि वाले मेजर विवेक गुप्ता की स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, धौलाकुंआ, नई दिल्ली में 1987 में हुई। ऊर्जावान व्यक्तित्व, जोश और उत्साह से लवरेज विवेक गुप्ता जून 1988 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए। 13 जून 1992 को एक यंग सैकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सैन्य अकादमी पास की। इसके बाद उन्हें 2 राजपूताना राइफल्स में शामिल किया गया और पोस्टिंग मिली। 
 
 
मेजर विवेक गुप्ता की शौर्यगाथा 
 
 
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण चोटी 'तोलोलिंग' पर कब्जा कर लिया था। लिहाजा अब भारतीय सेना के समक्ष इस चोटी को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से मुक्त कराने का पहला लक्ष्य था। कमांडिंग ऑफिसर ने मेजर विवेक गुप्ता को तोलोलिंग की चोटियों से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने और चोटी को मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी। सैन्य नजरिए से देखा जाए तो यक़ीनन यह काम बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेजर विवेक गुप्ता और उनके साथियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। दुर्गम ऊँची पहाड़ियों पर चढ़ाई और उसमें भी ऊंचाई पर बैठे दुश्मन सैनिकों की गिद्ध निगाहें हर वक्त भारतीय सैनिकों पर थीं। बावजूद इसके मेजर गुप्ता ने अपनी बटालियन के साथ इस मिशन को पूरा करने के लिए आगे बढे। 12 जून, 1999 को मेजर विवेक गुप्ता ने तोलोलिंग चोटी को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराने के दौरान जो जांबाजी दिखाई, उससे पाकिस्तानी सैनिक घुटने टेंकने पर मजबूर हो गए।  
 
 
Battale of tololing war
 
 
तोलोलिंग पर फहराया तिरंगा  
 
 
मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में 2 राजपुताना राइफल्स की टुकड़ी 12 जून की रात तोलोलिंग चोटी को दुश्मनों से मुक्त कराने के लिए रवाना हुईं। दुर्गम ऊँची पहाड़ियों को पार कर जैसे ही मेजर विवेक दुश्मनों की चौकियों के पास पहुंचे उनका सामना पाकिस्तानी सैनिकों से हुआ। ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों ने मेजर गुप्ता और उनकी टीम पर लगातार गोलियां और बम बरसाना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ मेजर गुप्ता की टुकड़ी भी दुश्मनों को माकूल जवाब दे रहे थे, लेकिन उंचाई ज्यादा होने के कारण निशाना लगा पाना मुश्किल हो रहा था। दोनों तरफ से जारी भारी गोलीबारी के दौरान अचानक मेजर गुप्ता को दुश्मनों की दो गोलियां आ लगीं। परंतु गोलियाँ लगने के बावजूद भी मेजर गुप्ता ने घायल अवस्था में बहादुरी दिखाते हुए 3 पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार डाला साथ ही बंकर पर कब्जा कर लिया। मेजर गुप्ता के नेतृत्व में 13 जून 1999 को इस बेहद चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर लिया गया। बंकर पर कब्ज़ा करने के उपरान्त मेजर विवेक गुप्ता ने वहां पर शान से तिरंगा लहराया।
 
 
vivek gupta mahaveer
 
 
 
परमवीर सम्मान 
 
 
हालांकि इस बीच मेजर विवेक गुप्ता गोली लगने के कारण गंभीर रूप से घायल हो चुके थे, परंतु घायल अवस्था के बावजूद भी वो अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों से लोहा लेते रहे। उनके सैन्य कैशल के चलते कई दुश्मन मारे गए और बड़ा क्षेत्र भारतीय सेना के कब्जे में आ गया। आखिरकार अंत में माँ भारती की रक्षा करते हुए माँ भारती के अमर वीर बलिदानी मेजर विवेक गुप्ता वीरगति को प्राप्त हो गए। रणक्षेत्र में महान पराक्रम और असाधारण वीरता दिखाने के लिए मेजर विवेक गुप्ता को मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया।
 
 
'बहुत हुआ, अब बंद करो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना'
 
 
साल 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच जब कारगिल युद्ध चल रहा था, उसी दौरान दूसरी तरफ क्रिकेट विश्व कप भी चल रहा था। समाचार पत्रों और टेलीविजन पर जब कारगिल युद्ध के मैदान में बलिदान हुए देश के वीर-सपूतों की बहादुरी की ख़बरें आतीं तो लोग भावुक हो जाते और आंसुओं का सैलाब आ जाता। देश की आम जनता के साथ-साथ फिल्मी कलाकारों और क्रिकेटरों में भी बलिदानियों को लेकर भावनाएं उमड़ रहीं थीं। इसी दौरान समाचार पत्रों में एक ऐसी तस्वीर छपी, जिसको देखने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए। वो तस्वीर थी मेजर विवेक गुप्ता के बलिदान की। कपिल देव को पाकिस्तान की इस हरकत पर ऐसा गुस्सा आया कि उन्होंने भारत सरकार से कहा कि 'बहुत हुआ, अब बंद करो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना, नहीं चाहिए हमें पाकिस्तान से खेल की कमाई।
 

Major Vivek Gupta and his wife 
 
 
मेजर विवक गुप्ता का जब पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए आम लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। हर कोई अपने नायक का अंतिम दर्शन कर उन्हें नमन करना चाहता था। बारी-बारी से सभी ने उन्हें श्रद्धांजिल दी। मेजर विवेक गुप्ता की पत्नी कैप्टन जयश्री भी सेना की ड्रेस में वहां पहुंचीं और अपने अमर बलिदानी पति को सेल्यूट किया। इस घटना को कपिल देव भी ने भी देखा। जैसे ही कैप्टन जयश्री ने सैन्य धुन पर सलामी दी, कपिल देव टीवी के सामने खड़े हो गए और रोने लगे। ये दोनों तस्वीरें जब मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित हुईं तो देश में उबाल आ गया था।
 
 
 
 देश के ऐसे सच्चे वीर सपूत की पुण्यतिथि पर हमारा कोटिशः नमन......