![Jammu Kashmir encounter Jammu Kashmir encounter](https://www.jammukashmirnow.com/hindi/Encyc/2023/9/14/Kashmir_202309140018050491_H@@IGHT_420_W@@IDTH_802.png)
दक्षिण कश्मीर संभाग के अनंतनाग ज़िले के कोकरनाग में सुरक्षाबलों और आतंकियों संग हुई मुठभेड़ में सेना के एक मेजर और कर्नल समेत जम्मू कश्मीर पुलिस के 1 पुलिस उपाधीक्षक यानि कुल 3 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुडे एक गुट रेसिस्टेंट फ्रंट (TrF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।समाचार एजेंसी ANI के अनुसार मुठभेड़ में कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक पुलिस उपाधीक्षक हुमायू भट्ट गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें तुरंत विमान से श्रीनगर ले जाया गया। लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान तीनों जवानों ने दम तोड़ दिया।
बता दें कि आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान कल शाम ही शुरू कर दिया था। इस दौरान जम्मू कश्मीर के दो स्थानों राजौरी और अनंतनाग में मुठभेड़ भी हुई लेकिन रात में इसे रोक दिया गया। राजौरी मुठभेड़ में 2 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतार दिया। वहीं आज सुबह आतंकवादियों की तलाशी के लिए सुरक्षाबलों की ओर से दोबारा अभियान शुरू किया गया और तभी आतंकियों ने ख़ुद को घिरा देख सुरक्षाबलों पर फ़ायरिंग शुरू कर दी। फ़ायरिंग की चपेट में आने से अनंतनाग में 3 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। जबकि वहीं राजौरी में मुठभेड़ के दौरान सेना के 1 जवान रायफ़लमैन रवि कुमार वीरगति को प्राप्त हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि अनंतनाग में बलिदान हुए DSP हुमायूं भट की 2 महीने की बेटी है। उनके पिता गुलाम हसन भट भी जम्मू-कश्मीर पुलिस में आईजी के पद से रिटायर्ड हुए थे। ग़ुलाम हसन ने अपने अमर बलिदानी बेटे DSP हुमायूं भट को श्रद्धांजलि अर्पित की। बेटे की मौत की खबर सुनकर परिजनों का बुरा हाल है।
बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के मोहाली स्थित न्यू चंडीगढ़ के भरऊजान गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल उनका परिवार हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 26 में रहता है। वहीं, मेजर आशीष धोनैक 15 अगस्त को सेना मेडल से नवाजे गए थे। ये दोनों अधिकारी 19 राष्ट्रीय राइफल्स के थे और ये यूनिट वही है जिसने आतंकी बुरहान वानी का अंत किया था। कर्नल मनप्रीत सिंह 2003 में NDA में कमिशन हुए थे। 2005 में ट्रेनिंग पूरी करके वह सेना में शामिल हुए। जबकि मेजर आशीष पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे। वह 3 बहनों के इकलौते भाई थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ मेजर आशीष 6 महीने पहले ही छुट्टी लेकर घर आए थे। छुट्टी ख़त्म होने के बाद उन्होंने अपनी ड्यूटी जारी कर दी थी।
सर्च अभियान जारी
वहीं मुठभेड़ के दौरान घेराबंदी तोड़ भागने में कामयाब रहे आतंकियों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया। हेलीकॉप्टर और खोजी कुत्तों की भी मदद ली गई है। सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह समेत सेना और पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लेते हुए आतंकरोधी अभियान की रणनीति की समीक्षा की है। आतंकियों के खिलाफ जारी अभियान की वरिष्ठ अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं।