Ayodhya Ram Mandir : 22 जनवरी 2024, यही वो तारीख है जब सभी राम भक्तों के 500 वर्षों का इंतज़ार ख़त्म होगा और प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि श्री अयोध्या धाम (Shri Ram Janam Bhoomi) में बन रहे भव्य राम मंदिर में, बाल स्वरुप प्रभु श्रीरामलला विराजमान होंगे। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) मुख्य जजमान के रूप में राम मंदिर के गर्भगृह (Ram Mandri Garbhgrih) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। अब ऐसे में दावा किया जा रहा है कि गर्भगृह में स्थापित की जाने वाली रामलला की प्रतिमा (Ram Lalla Pratima) का चयन भी किया जा चुका है। कुल 3 दिव्य प्रतिमाओं से 1 प्रतिमा का चयन सर्वसम्मति से किया गया है। बाल स्वरुप श्री रामलला की प्रतिमा को (Arun Yogiraj sculpture) आकार देने वाले मूर्तिकार का नाम अरुण योगिराज (Arun Yogiraj) है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही रामलला की प्रतिमा प्रतीकात्मक
यहाँ एक चीज और स्पष्ट करना बेहद आवश्यक हो जाता है कि अधिकांश लोग यही सोचने लगे हैं कि अरुण योगिराज रामलला की जिस प्रतिमा के साथ नजर आ रहे हैं वही वास्तविक प्रतिमा है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिलकुल नहीं है। अभी तक किसी भी प्रकार की कोई भी प्रतिमा मंदिर प्रशासन की तरफ से जारी नहीं की गई है। रामलला की ये सभी प्रतिमाएं प्रतिकताम्क तस्वीर के तौर पर प्रयोग की जा रही हैं। असली प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा के दिन या उससे थोडा पहले जारी किया जा सकता है। हालाँकि उम्मीद यही है कि प्राण प्रतिष्ठा तक प्रतिमा की पहचान जारी नहीं की जाएगी।
मूर्ति प्रतीकात्मक है
कौन हैं अरुण योगिराज ? (Who is Arun Yogiraj sculptor ?)
अरुण योगिराज कर्नाटक (Karnataka) के रहने वाले एक प्रसिद्द मूर्तिकार हैं। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए कुल 3 मूर्तिकारों का चयन किया गया था, जिनमें से सिर्फ किसी एक मूर्तिकार की बने प्रतिमा को चयन किया जाना था। un तीनों मूर्तिकारों में से ही एक हैं अरुण योगिराज जिनकी बनाई दिव्य प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा के लिए चयन किया गया है। मैसूर (Mysuru) के रहने प्रसिद्ध मूर्तिकारों की 5वीं पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश भर में सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकार हैं। इस काम में इनकी कुशलता इतनी है कि इनकी बनाई प्रतिमा को हर वक्त उच्च कोटि का स्थान प्राप्त होता आया है।
PM मोदी भी कई बार कर चुके हैं सराहना
37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं। अरुण के पिता जी गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी प्रतिमा निर्माण का कार्य कर चुके हैं। ख़ास बात यह कि अरुण योगिराज मैसूर विश्वविद्यालय (Mysuru University) से MBA की पढ़ाई कर चुके हैं और वे फिलहाल में 5वीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उनकी कुशलता और हाथ की कारीगरी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अरुण योगिराज की प्रतिभा की कई मौकों पर सराहना कर चुके हैं। सिर्फ इतना ही नहीं अरुण योगिराज को पहले भी कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। मैसूर के शाही परिवार ने भी उनके योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया है।
MBA करने के उपरांत बने मूर्तिकार
अरुण के पिता योगीराज भी एक बेहद कुशल मूर्तिकार हैं। यहाँ तक कि अरुण योगिराज के दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। इसी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले अरुण योगीराज भी बचपन से ही नक्काशी के काम से जुड़ गए। कुछ समय बाद MBA की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए एक प्राइवेट कंपनी में भी काम किया, लेकिन 2008 में मूर्तिकार बनने के लिए उन्होंने अपनी इस नौकरी को छोड़ दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें प्रतिमाओं को निर्मित करने की तरफ झुकाव बचपन से ही था। लिहाजा उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना काम शुरू कर दिया।
अरुण ने इन प्रतिमाओं को दिया सुंदर आकार
अपने काम में बारीकी और खूबसूरती के कारण वे देश भर में प्रसिद्द हो गए। देश में हर तरफ मांग होती रही कि उनकी ही बनाई प्रतिमा को प्रयोग में लाया जाए। यहाँ यह बताना बेहद उचित होगा कि हाल ही में दिल्ली स्थित ‘इंडिया गेट’ पर जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की प्रतिमा लगाई गई, उसे भी अरुण योगिराज ने ही आकार दिया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, PM मोदी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर उनकी एक प्रतिमा स्थापित की जाए, जिसे आकार देने का काम अरुण योगिराज ने किया था।
केदारनाथ धाम स्थित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा
इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा के अलावा अरुण योगीराज ने देवभूमि उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में वर्ष 2023 में स्थापित की गई आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी निर्माण किया है। इसके अलावा उन्होंने मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा, महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार-IV और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की प्रतिमा को आकार दिया है।
कैसे हुआ प्रतिमा का चयन ?
अयोध्या में निर्मित भव्य श्रीराम मंदिर के लिए 3 प्रतिमाओं को आकार देने का काम 3 मूर्तिकारों गणेश भट्ट, अरुण योगीराज और सत्यनारायण पांडेय ने तीन पत्थरों से किया है। इसमें सत्यनारायण पांडेय की मूर्ति श्वेत संगमरमर की है, जबकि शेष दोनों प्रतिमाएं कर्नाटक के नीले पत्थर से बनी हैं। इसमें गणेश भट्ट की प्रतिमा दक्षिण भारत की शैली में बनी थी। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने ANI को बताया कि तीनों ही कलाकारों ने रामलला की प्रतिमा को इतना अद्भुत आकार दिया कि उनमें से किसी एक का चयन करना बेहद कठिन था।
सभी प्रतिमाएं बेहद खूबसूरत बनी है। लेकिन पहले से ही तय था कि किसी एक मूर्तिकार की बनाई गई प्रतिमा का चयन होगा और उसे ही गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा। ऐसे में सभी चयनकर्ताओं को सूचित किया गया था कि वे एक पर्ची में अपना मत लिखें। जब पर्ची खोली गई तो सभी का मत एक समान था और इस तरह से अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन किया गया है। अरुण योगीराज बीते 6 माह से रोज 12 घंटे काम करके प्रभु श्री रामलला की मूर्ति तैयार कर रहे थे।
श्री राम मंदिर के उद्घाटन के लिए भव्य तैयारी
एएनआई के मुताबिक, वाराणसी के पुजारी लक्ष्मी कांत दीक्षित 22 जनवरी को राम लला के अभिषेक समारोह का मुख्य अनुष्ठान करेंगे। 14 जनवरी से 22 जनवरी तक अयोध्या में अमृत महाउत्सव मनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि 1008 हुंडी महायज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाएगा। हजारों भक्तों को समायोजित करने के लिए अयोध्या में कई तम्बू शहर बनाए जा रहे हैं, जिनके भव्य अभिषेक के लिए उत्तर प्रदेश के मंदिर शहर में पहुंचने की उम्मीद है। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के मुताबिक, 10,000-15,000 लोगों के लिए व्यवस्था की जाएगी।