पाकिस्तान पहुंचे विदेशमंत्री एस जयशंकर ; SCO समिट में लेंगे हिस्सा, जानें क्या है SCO और क्यों पड़ी इसकी जरुरत

9 साल बाद किसी भारतीय नेता की पहली पाकिस्तान यात्रा

    15-अक्तूबर-2024
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S Jaishankar laided in islamabad for sco summit
 
पाकिस्तान में आज यानि 15 अक्टूबर से SCO की बैठक होने वाली है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ SCO बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। पाकिस्तान ने अगस्त माह में प्रधानमंत्री मोदी को SCO की बैठक में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था, लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे खराब रिश्तों के चलते भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक में शामिल हो रहे हैं। आज करीब 4 बजे एस जयशंकर भारतीय वायु सेना के विमान से पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे। एयरपोर्ट पर विदेशमंत्री जयशंकर स्वागत किया गया। आधिकारिक तौर पर विदेशमंत्री जयशंकर 24 घंटे पाकिस्तान में रहेंगे।
 
 
8 साल बाद पाकिस्तान जाने वाले पहले भारतीय नेता 
 
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान जाने से पहले ही ये कई दफा साफ कर चुके हैं कि पाकिस्तान जाने का मकसद सिर्फ SCO की बैठक है, इसके अलावा दोनों देशों के रिश्तों पर कोई भी बातचीत नहीं होगी। भारत के अलावा रूस और चीन समेत 10 देशों के प्रतिनिधि भी SCO की बैठक में शामिल होंगे। इसके मद्देनजर सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए इस्लामाबाद में लॉकडाउन लगा दिया गया है। साथ ही पूरे शहर में 3 दिन के लिए छुट्टी की घोषणा कर दी गई है। विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। इसलिए भी ये दौरा खास है। उनसे पहले 25 दिसंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। तब मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे।
 
 
 
 
पड़ोसी देशों से रिश्ते बेहतर करने की दिशा में पहल करते हुए पहली बार PM मोदी पाकिस्तान पहुंचे थे। उम्मीद थी कि पाकिस्तान अपनी गलतियों को सुधारकर एक बेहतर पडोसी बनेगा लेकिन हुआ उल्टा। PM के पाकिस्तान दौरे के एक साल बाद ही 2016 में 4 पाकिस्तानी आतंकी उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में घुस गए थे। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। फिर पठानकोट, पुलवामा जैसे अनेक आतंकी घटनाओं को पाकिस्तान अंजाम देता रहा। सीमापार से आतंकवाद के कारण भारत ने पाकिस्तान से बातचीत का रास्ता बंद कर दिया।
 
 
इस बीच पाकिस्तान अपनी तेजी से बिगड़ती अर्थव्यस्था और कंगाली को देखते हुए भारत से बातचीत करना चाहा लेकिन भारत सरकार अपने फैसलों पर टिकी रही कि आतंकवाद और बातचीत दोनों एक साथ नहीं हो सकता। अब जब पाकिस्तान में SCO की बैठक हो रही है तो उसमें भी भारत के प्रतिनिधि के तौर पर PM मोदी नहीं बल्कि विदेशमंत्री जयशंकर पाकिस्तान पहुंचे हैं। साथ ही भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस यात्रा का मकसद सिर्फ SCO की बैठक है। इस बीच भारत-पाकिस्तान रिश्ते को लेकर कोई अन्य बातचीत नहीं होगी।
 
 
नवाज शरीफ ने रोया गरीबी का रोना   
 
 
हालाँकि इस समिट को लेकर पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ ने बरखा दत्त को दिए एक साक्षात्कार में यह कहा कि अगर इस बैठक में PM मोदी आते तो हमें और अच्छा लगता है। हम भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत G20 जैसे बड़े सम्मलेन का आयोजन कर रहा है, आज भारत चाँद पर पहुँच चुका है। लेकिन हम (पाकिस्तान) आज 1-1 अरब रूपये के लिए चीन समेत अरब देशों से भीख मांग रहे हैं। नवाज ने सिर्फ इतना ही नहीं भारत से ख़राब हुए रिश्ते पर कहा कि हमने कारगिल युद्ध के दौरान भी गलतियाँ की। कारगिल युद्ध में जो कुछ भी हुआ उसमें हमारी गलती थी, हमने लाहौर समझौते को नहीं माना, इसके लिए हम कसूरवार हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था।
 
 
सोवियत यूनियन का विभाजन और SCO की स्थापना
 
 
1991 में सोवियत यूनियन के कई हिस्सों में टूटने के बाद, रूस के पड़ोसी देशों के बीच सीमाओं का निर्धारण न होने के कारण सीमा विवाद शुरू हो गए। इन विवादों को जंग के रूप में फैलने से रोकने के लिए, रूस ने एक संगठन बनाने की आवश्यकता महसूस की। रूस को यह भी चिंता थी कि चीन, सोवियत यूनियन के सदस्य रहे छोटे-छोटे देशों की जमीनों पर कब्जा कर सकता है।
 
 
इस स्थिति में, रूस ने 1996 में चीन और पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर एक संगठन की स्थापना की। इसका ऐलान चीन के शंघाई शहर में हुआ, इसलिए इसे "शंघाई फाइव" नाम दिया गया। इस संगठन के प्रारंभिक पांच सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल थे। जब इन देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ गए, तो इसे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का रूप दिया गया। 2001 में उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद इसे "शंघाई सहयोग संगठन" (SCO) का नाम दिया गया।
 
 
भारत की SCO में सदस्यता
 

SCO बनने के बाद भारत को भी इस संगठन में शामिल होने का न्योता दिया गया था, लेकिन उस समय भारत ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। इसी बीच, चीन ने पाकिस्तान को संगठन का सदस्य बनाने की कोशिशें शुरू कर दीं, जिससे रूस को चीन के बढ़ते प्रभाव का डर लगा। इसके परिणामस्वरूप, रूस ने भारत को SCO में शामिल होने की सलाह दी। 2017 में, भारत इस संगठन का स्थायी सदस्य बना।

 
 
भारत की सदस्यता के पीछे प्रमुख कारण
 
 
1.व्यापारिक संबंधों का विकास: SCO के सदस्य देशों के साथ भारत का व्यापार बढ़ रहा था, इसलिए संगठन के साथ संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता थी।
 
 
2. केंद्रीय एशिया में पहुंच: भारत के लिए केंद्रीय एशिया में अपनी उपस्थिति बढ़ाना महत्वपूर्ण था, और SCO इस क्षेत्र के सभी देशों को एक मंच पर लाता है।
 
 
3. अफगानिस्तान में भूमिका: भारत को अफगानिस्तान में अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए कोई अन्य संगठन उपलब्ध नहीं था, और इसके लिए उसे SCO देशों के सहयोग की आवश्यकता थी।
 
 
4. आतंकवाद और नशीले पदार्थों की समस्या: भारत को SCO के देशों के सहयोग की आवश्यकता थी ताकि आतंकवाद और ड्रग्स के खिलाफ प्रभावी उपाय किए जा सकें।
 
 
5. बैलेंसिंग पावर: केंद्रीय एशिया के छोटे देशों को भी भारत की जरूरत थी। वे नहीं चाहते थे कि संगठन में केवल चीन और रूस का ही वर्चस्व हो, इसलिए उन्होंने भारत को एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में देखा।
 
 
 SCO का उद्देश्य 
 
 
SCO देशों ने जब सीमा विवाद को सुलझा लिया तो इसका उद्देश्य बदल गया। अब इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों को तीन तरह के ईविल यानी शैतानों से बचाना था…
 
 
अलगाववाद
 
आतंकवाद
 
धार्मिक कट्टरपंथ