#OperationGulmarg : 22 अक्टूबर 1947, जम्मू कश्मीर के इतिहास का वो काला दिन, जब पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर पर हमला कर हजारों हिन्दुओं-सिखों का किया कत्लेआम

21 Oct 2024 13:36:19

Operation Gulmarg 1947
 
पाकिस्तान जब से आस्तित्व में आया तब से ही उसकी नापाक निगाहें जम्मू कश्मीर पर टिकी रही। पाकिस्तान के इसी नापाक मंसूबे की हकीकत को बयां करती है, 22 अक्टूबर 1947 की वो तारीख जब, पाकिस्तानी सेना ने कबालियों की भेष में जम्मू कश्मीर के एक बड़े भूभाग पर हमला कर दिया था। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को नाम दिया था 'ऑपरेशन गुलमर्ग'। जम्मू कश्मीर पर हुए इस पाकिस्तानी हमले की पटकथा लिखी पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अकबर खान ने। अकबर खान ने ही इस आक्रमण की योजना और रणनीति बनाई और फिर कबाइलियों के भेष में पाकिस्तानी सेना को भेज जम्मू कश्मीर में इस कत्लेआम को अंजाम दिया।
 
 
पाकिस्तानी सेना जब जम्मू कश्मीर में इस हमले को अंजाम दे रही थी उस वक्त एक अमरीकी पत्रकार, मार्गरेट बर्क वाइट, इस आक्रमण के समय जम्मू-कश्मीर में थी। उन्होंने लिखा कि इस नरसंहार में कई गाँव तबाह हो गए, पाकिस्तानी सेना ने मासूम बच्चियों, महिलाओं के साथ बलात्कार किया और सैंकड़ों हिन्दू, सिख महिलाओं को अगवा कर अपने साथ ले गए। मेजर जनरल अकबर खान के अलावा इस हमले की योजना बनाने वालों में मुहम्मद अली जिन्ना का करीबी सिरदार शौकत हयात खान भी शामिल था।
 

Operation Gulmarg 1947 
 
 
शौकत हयात खान ने हमले के बाद में ‘द नेशन दैट लॉस्ट इट्स सोल’ नाम से एक किताब लिखी जिसमें यह स्वीकार किया कि उसे कश्मीर ऑपरेशन का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। इस ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन वित्त मंत्री गुलाम मुहम्मद ने 3 लाख रुपये भी दिए थे। मेजर जनरल अकबर खान ने तय किया था कि 22 अक्टूबर, 1947 को जम्मू कश्मीर पर हमला शुरू किया जाएगा। इसके हमले को अंजाम देने के लिए सभी हमलावरों को 18 अक्टूबर तक एबटाबाद में इकट्ठा होने को कहा गया था।
 
 
आज से ठीक 77 वर्ष पूर्व पाकिस्तानी सेना ने एक साथ मुज़्ज़फ़्फ़राबाद, भीम्बर, कोटली, पुँछ और मीरपुर पर हमला कर दिया। चूँकि जम्मू कश्मीर का अभी भारत के साथ अधिमिलन नहीं हुआ था लिहाजा भारतीय सेना भी वहां नहीं पहुँच सकती थी। कबाइलियों की भेष में पाकिस्तानी सैनिक इंसानियत की सारी सीमाएं लांघते हुए मुज्जफ्फराबाद से लेकर बारामूला तक जिस तरह से हजारों हिन्दुओं-सिखों का कत्लेआम मचाया था उसकी बानगी मानव इतिहास में कहीं नहीं मिलेगी।
 

Operation Gulmarg 1947 
 
मुज़्ज़फ़्फ़राबाद नरसंहार
 
 
कबाइलियों की भेष में पाकिस्तानी सैनिकों की क्रूरता का वर्णन करते हुए उस वक्त ‘ख्वाज़ा अब्दुल समाद’ कहते हैं- ‘अधिकतर हिन्दुओं की सम्पत्तियों को आग लगा दी गई, कई हिन्दुओं और सिखों की निर्मम हत्याएं कर दी गईं और अभी भी उनकी लाशें उनके घरों में या सड़कों पर पड़ी हुई थीं।‘ मुज्जफ्फराबाद में हुए नरसंहार के बारे में बात करते हुए आगे कहते हैं कि पिछले 2 दिनों में पाकिस्तानी सैनिक कई लाशें घसीट घसीट कर लाए और नदी में फ़ेंक दीं। इनके आक्रमण ने मुज़्ज़फ़्फ़राबाद को पूरी तरह से तबाह कर दिया। हिन्दू मुसलमानों के घर लूट लिए, दुकानों पर डाका डाला और सारा सामान ट्रकों में लाद कर अपने साथ ले गए।
 
 
मुज्जफ्फराबाद (जोकि पिछले 77 वर्षों से पाकिस्तान के कब्जे में है, जिसे हम POJK अर्थात पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के नाम से जानते हैं) में स्थिति हिन्दुओं-सिखों के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों, जैसे मंदिर, गुरुद्वारे आदि को भी इन पाकिस्तानी हमलावरों ने नहीं छोड़ा। ये इस्लामिक जिहादी इन धार्मिक स्थलों में गए और वहां जो भी चीज़ कीमती लगी उसे उठा ले गए। मंदिर में स्थित सभी प्रतिमाओं को हमलावरों ने खंडित व अपवित्र कर दिया। इन सभी ऐतिहासिक धरोहरों से उन इस्लामिक जिहादियों को कुछ भी मिलता सब एक जगह जमा करते, और फिर समेट कर अपने साथ ले जाते। यहाँ से हर चीज़ ट्रक में लाद कर उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रान्त- नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में भेज देते। मुज़्ज़फ़्फ़राबाद और उसके आस पास के इलाके में एक भी मुस्लमान का घर इस कबाइली लूटपाट में बक्शा नहीं गया। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना ने पुँछ, स्कर्दू, गिलगित और दोमेल में भी जमकर खून खराबा मचाया।
 

Operation Gulmarg 1947 
 
भिम्बर नरसंहार
 
 
24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने भिम्बर पर धावा बोलकर, वहाँ अंधाधुंध हिंसा की, लूट पाट और आगजनी की, महिलाओं की इज़्ज़त लूटी। हज़ारों निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या की और भिम्बर को अवैध तरीके से कब्ज़ा लिया। आज भिम्बर पाकिस्तान अधिक्रान्त जम्मू कश्मीर का हिस्सा है।
 
 
3. कोटली नरसंहार
 
 
सोची समझी साज़िश के तहत पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर के कोटली में हमला किया। पाकिस्तानी सैनिकों ने यहाँ भी सामूहिक बलात्कार, बड़े पैमाने पर लूट पाट, आगजनी, तोड़फोड़, अपहरण कर, हज़ारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को क्रूरता से मौत के घात उतार दिया। पाकिस्तान के इस अत्याचार के बाद हजारों, लाखों की संख्या में लोग इन इलाकों से विस्थापित होने को मजबूर हुए। जो बाद में देश के अन्य अन्य हिस्सों में बस गए। लेकिन आज 76 वर्ष बाद भी उनके दिलों-दिमाग में पाकिस्तान द्वारा दिया गया वो दर्द हरा है।
 
 
22 अक्टूबर 1947 जम्मू कश्मीर के इतिहास का वो काला दिन है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज का दिन उसी स्मृति को पुनः याद करने और पाकिस्तानी सेना के इस हमले में बलिदान हुए हजारों हिन्दू-सिखों को श्रद्धासुमन अर्पित करने का दिन है। 
 
 
 
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