जम्मू-कश्मीर में करीब एक दशक बाद नई सरकार के गठन के बाद आतंकी घटनाओं में तेजी देखने को मिल रही है। उमर अब्दुल्ला की सरकार के शपथ ग्रहण के बाद, पिछले 4 दिनों में 4 बड़े आतंकी हमले बिगड़ते हालात की ओर इशारा कर रहे हैं। शोपियां, गांदरबल, त्राल और अब बारामूला में आतंकी हमलों से स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। पिछले 15 दिनों में ही विभिन्न आतंकी घटनाओं में 19 निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं।
बारामूला में सैन्य वाहन पर हमला
जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में आतंकियों ने गत गुरुवार देर शाम एक सैन्य वाहन को निशाना बनाया। इस हमले में 2 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए और 2 सिविलियन पोर्टर भी मारे गए हैं, जो सेना के साथ सामान लाने में मदद करते थे। इस हमले में अन्य 3 जवान भी घायल हो गए हैं। गुलमर्ग स्की रिसॉर्ट के पास बूटा पाथरी इलाके के नागिन चौक पर स्थित 'राष्ट्रीय राइफल्स' के वाहन पर यह हमला हुआ। इस आतंक-मुक्त समझे जाने वाले क्षेत्र में यह घटना पर्यटकों और नागरिकों के बीच भी भय का माहौल पैदा कर रही है।
अधिकारियों ने हमले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गुरूवार शाम को गुलमर्ग स्की रिसॉर्ट के पास बूटा पाथरी इलाके के नागिन चौक पर आतंकियों ने ‘राष्ट्रीय राइफल्स’ (आरआर) के एक वाहन पर गोलीबारी की। घाटी में यह हमला सामान्यतया आतंक-मुक्त समझे जाने वाले क्षेत्र में हुआ है। गुलमर्ग और बूटा पाथरी जैसे इसके ऊपरी इलाकों में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है और यह जगह प्रकृति प्रेमियों की पसंदीदा है। ऐसे में इस स्थान को चिन्हित कर आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया है।
चार दिनों में चार हमले
इससे पहले गुरुवार को पुलवामा के त्राल में उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी शुभम कुमार पर आतंकियों ने हमला किया था। शुभम वहां मजदूरी कर रहे थे। आतंकियों के डायरेक्ट फयरिंग में उन्हें गोली लगी, लेकिन गनीमत रही कि गोली उनके हाथों पर लगी अस्प्ताल में इलाज के बाद उनकी हालत स्थिर है। पिछले एक सप्ताह में यह प्रवासी मजदूरों पर तीसरा हमला था।
गगनगीर में 7 की हत्या
18 अक्टूबर को बिहार के मजदूर अशोक कुमार चौहान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 20 अक्टूबर को गांदरबल में एक इंफ्रा कंपनी के श्रमिकों के शिविर पर हमला किया गया, जिसमें एक डॉक्टर सहित कुल 7 लोगों की मौत हुई थी। यह हमला श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग परियोजना पर काम कर रहे निर्दोष श्रमिकों पर हुआ।
हमलों का कारण क्या है?
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव और नई सरकार का गठन पाकिस्तान और उसके पाले हुए आतंकी संगठनों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास को देखकर उनके मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। लिहाजा आतंकी लगातार निर्दोष लोगों को निशाना बनाकर यहाँ शांति और स्थायित्व को चुनौती दे रहे हैं, ताकि क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहे। हालाँकि सतर्क सुरक्षाबलों द्वारा लगातार उनके मंसूबों को नाकाम भी किया जा रहा है। हाल की घटनाओं के बाद जम्मू कश्मीर के LG मनोज सिन्हा और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को आतंकवाद का सफाया करने की खुली छुट दे रखी है। सुरक्षाबल भी विभिन्न इलाकों में तैनाती बढाकर आतंकियों की खोजबीन में जुटे हैं। उम्मीद है कि जल्द इन पनपें हुए चंद मुट्ठीभर आतंकियों का काम भी तमाम हो जाएगा।
सुरक्षा पर प्रधानमंत्री से चर्चा
गुरुवार देर शाम जब गुलमर्ग में सेना के वाहन पर हमला हुआ, उसी समय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे। बैठक में उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली पहुंचे उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात कर जम्मू कश्मीर के विकास पर चर्चा की।
गंभीर चिंता का विषय: उमर
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल के सभी आतंकी हमलों की निंदा करते हुए इन्हें "गंभीर चिंता का विषय" बताया है। उन्होंने एक्स पर कहा, "बूटा पाथरी में सेना के वाहन पर हमले की दुर्भाग्यपूर्ण खबर मिली है, जिसमें कई लोग हताहत हुए हैं। कश्मीर में सिलसिलेवार आतंकी हमले चिंता का विषय हैं।"
क्या राज्य का दर्जा देने का यह सही वक्त है ?
उमर अब्दुल्ला का मुख्य फोकस जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या यह सही समय है? लगातार हो रहे आतंकी हमले यह दर्शाते हैं कि स्थितियां नियंत्रण में नहीं हैं। यदि राज्य का दर्जा बहाल किया भी गया तो स्थितियों के और बिगड़ने की आशंका बनी हुई है। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब SC ने जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने की बात कही थी उस वक्त भी केंद्र स्पष्ट रूप से यह कहा था कि जम्मू कश्मीर की स्थिति नियंत्रण में होते ही चुनाव कराए जाएंगे। चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ यह पूरी दुनिया ने भी देखा। लेकिन जहाँ तक बात राज्य का दर्जा बहाल करने की आई तब केंद्र ने स्पष्ट किया था कि जब तक स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ जाती तब तक राज्य का दर्जा बहाल करना जल्दी होगा। बहरहाल ताजा घटनाओं को देखते हुए भी यही कहा जा सकता है कि राज्य के दर्जे की बहाली फ़िलहाल जल्दबाजी होगी।"