ऑपरेशन बाइसन, 15 नवंबर ; लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया: जम्मू कश्मीर के ज़ोजिला ऑपरेशन के नायक

14 Nov 2024 06:43:33

Jk now history 14 november
भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1947 में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर हमला किया। इस मुश्किल समय में, 1/5 गोरखा राइफल्स की पहली टुकड़ी ने अद्वितीय साहस और रणनीति का परिचय दिया, जिसके पीछे थे लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया। उनके नेतृत्व में, इस टुकड़ी ने ज़ोजिला ऑपरेशन में दुश्मन को हराया और भारतीय सेना की महत्वपूर्ण सफलता सुनिश्चित की।
 
 
सेना में योगदान
 
 
लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया का परिवार लंबे समय से भारतीय सेना में सेवा दे रहा था। उनके दादा, पिता और नाना भी सेना में थे, और इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने भारतीय सेना में भर्ती होकर अपने परिवार का मान बढ़ाया। उनका जीवन पूरी तरह से सैनिक सेवा के प्रति समर्पित था।
 
 
1947 ऑपरेशन बाइसन
 
 
22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया, जिसका उद्देश्य महाराजा हरी सिंह को जम्मू कश्मीर को भारत में शामिल करने से रोकना था। इस संघर्ष के दौरान, 1/5 गोरखा राइफल्स की टुकड़ी को जम्मू कश्मीर में दुश्मन से जूझने का आदेश मिला। लेफ्टिनेंट कर्नल पठानिया के नेतृत्व में, उनकी टुकड़ी ने न केवल अपनी वीरता का परिचय दिया, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय सफलता हासिल की।
 
 
ऑपरेशन बाइसन: चुनौतीपूर्ण लड़ाई
 
 
नवंबर 1948 में, जब भारतीय सेना द्रास और कारगिल की ओर बढ़ रही थी, उन्हें पिन्द्रास गोर्ज में पाकिस्तानी सेना का कड़ा प्रतिरोध मिला। भारतीय सेना ने निर्णय लिया कि गुमरी नाला के उत्तर स्थित चोटी पर कब्ज़ा किया जाएगा, ताकि आगे बढ़ने का मार्ग साफ हो सके। इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन बाइसन' नाम दिया गया। 1/5 गोरखा राइफल्स को इस कठिन मिशन का जिम्मा सौंपा गया।
 
 
लेफ्टिनेंट कर्नल पठानिया ने अपनी सूझबूझ और रणनीति से दुश्मन की स्थिति का सही मूल्यांकन किया। उन्होंने अपने सैनिकों के साथ मिलकर 14 नवंबर 1948 को दुश्मन के ठिकानों पर जोरदार हमला बोला। पाकिस्तानी सेना द्वारा भारी गोलाबारी के बावजूद, गोरखा राइफल्स ने दृढ़ नायकत्व का परिचय दिया और चोटी पर विजय प्राप्त की। यह भारतीय सेना के लिए निर्णायक मोड़ था।
 
 
अनंत हिल्स और महावीर चक्र
 
 
इस महत्वपूर्ण जीत के बाद, जिस चोटी पर भारतीय सेना ने कब्ज़ा किया, उसे 'अनंत हिल्स' के नाम से जाना जाने लगा। यह चोटी भारतीय सेना के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इसके बाद भारतीय सेना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ने का मार्ग मिला।
 
 
लेफ्टिनेंट कर्नल पठानिया की वीरता, उनके नेतृत्व और रणनीति को पहचानते हुए, उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा निभाई गई भूमिका न केवल भारतीय सेना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि उनके साहस और प्रेरणादायक नेतृत्व ने सैनिकों के मनोबल को भी ऊँचा किया।
 
 
लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया का नाम भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनका समर्पण, वीरता और नेतृत्व आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
 
 
 
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