भारत और चीन के बीच की प्रतिद्वंद्विता न केवल राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर है, बल्कि खेल के मैदान में भी दोनों देशों के बीच एक जोरदार प्रतिस्पर्धा है। हाल ही में भारत के एक युवा चेस खिलाड़ी ने चीन के एक अनुभवी खिलाड़ी को मात देकर यह साबित कर दिया है कि भारतीय प्रतिभा किसी से कम नहीं है।
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। यह जीत न केवल गुकेश की प्रतिभा का प्रदर्शन है, बल्कि यह भारत की बढ़ती ताकत और चीन के वर्चस्व को चुनौती देने की क्षमता को भी दर्शाती है। गुकेश ने 18 वर्ष की उम्र में इस चैंपियनशिप को जीतकर न सिर्फ एक नया इतिहास रच दिया है बल्कि चीन समेत तमाम वैश्विक ताकतों को यह सन्देश दिया है कि आज के नए भारत में क्षमता भी है और किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए जोश जूनून भी। इस सफलता के साथ ही गुकेश ने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 वर्ष छह महीने 27 दिन की उम्र में खिताब जीता था। गुकेश से पहले भारत के विश्वनाथन आनंद (2000-2002 और 2007-2013) विश्व शतरंज चैंपियन रहे थे।
गुकेश के लिए साल का अंत शानदार रहा है। इस साल वे कई और खिताब जीते, जिनमें कैंडिडेट्स 2024 टूर्नामेंट और शतरंज ओलंपियाड शामिल है, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था। गुकेश की यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह जीत न केवल भारतीय चेस खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत चीन के वर्चस्व को तोड़ने के लिए तैयार है। चाहे वह खेल का मैदान हो या युद्ध का मैदान, भारत अपनी ताकत और प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए तैयार है।
यहां तक कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी भारत ने अपनी बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया था। हालांकि उस समय भारत को कुछ क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन यह युद्ध भारत के लिए एक सबक था जिसने उसे अपनी सैन्य ताकत और रणनीति को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। आज, भारत एक मजबूत और सशक्त देश है जो अपनी सैन्य ताकत और आर्थिक प्रगति के मामले में चीन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और यही कारण है कि भारत चीन के वर्चस्व को तोड़ने के लिए तैयार है।