'मंदिर-मस्जिद विवादों से समाज में बढ़ रहा तनाव, यह स्वीकार नहीं' ; डॉ. मोहन भागवत

    20-दिसंबर-2024
Total Views |
 
DR Mohan Bhagwat on Temple mosque dispute
 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने गुरुवार को देश में मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उभरने पर अपनी चिंता जाहिर की। पुणे में एक व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोग अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद ऐसे विवादों को उठाकर हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, जो समाज में तनाव और अलगाव को बढ़ावा दे रहे हैं। यह स्थिति स्वीकार्य नहीं हो सकती।
 
 
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत को यह साबित करने की जरूरत है कि वह विविधता में एकता की मिसाल प्रस्तुत कर सकता है।भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमने लंबे समय तक सद्भावना के साथ एक-दूसरे के साथ रहकर यह सिद्ध किया है। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना दिखाना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल तैयार करना होगा।"
 
 
राम मंदिर पर बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्माण केवल एक धार्मिक आस्था का प्रतीक था, न कि किसी विवाद का। डॉ. भागवत ने आगे कहा कि ब्रिटिश शासन ने जानबूझकर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के बीच दरारें पैदा की थीं, जिसके परिणामस्वरूप विभाजन और पाकिस्तान का जन्म हुआ। भागवत ने यह भी कहा कि कुछ बाहरी ताकतें कट्टरता का प्रचार कर रही हैं और पुराने शासन को पुनः स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अब देश संविधान के आधार पर चल रहा है, जहां लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
 
 
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर डॉ. मोहन भागवत ने कहा, "हम देख रहे हैं कि पडोसी देशों में अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है। भारत में इस पर चर्चा होती है, लेकिन हम अब यह समझने लगे हैं कि दूसरे देशों में उनकी हालत और भी बदतर है।" हालांकि, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हालिया हिंसा पर कोई विशेष टिप्पणी नहीं की, लेकिन RSS ने हाल के दिनों में इस पर चिंता व्यक्त की है। इस बयान से भागवत ने समाज में बढ़ते विवादों को रोकने और भारतीय समाज की सद्भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।