लद्दाखी चरवाहे ताशी नामग्याल का निधन ; कारगिल युद्ध में उनके योगदान को सदियों तक किया जायेगा याद

    21-दिसंबर-2024
Total Views |

Tashi Namgyal kargil 1999
 
मई 1999 में, जब करगिल सेक्टर में पाकिस्तान की घुसपैठ हो रही थी, एक लद्दाखी चरवाहे ताशी नामग्याल (Tashi Namgyal ) ने भारतीय सैनिकों को सचेत किया था। यह साहसिक कार्य भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि उनके द्वारा दी गई जानकारी ने युद्ध के मोर्चे पर सेना को पूर्व तैयारी का समय दिया। अब ताशी नामग्याल का निधन हो गया है। वे 58 वर्ष के थे और उनका निधन लद्दाख की आर्यन घाटी के गरखोन क्षेत्र में हुआ।
 
 
सेना ने दी श्रद्धांजलि 
 
 
ताशी नामग्याल के निधन पर भारतीय सेना ने गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ताशी नामग्याल के आकस्मिक निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। लद्दाख का एक बहादुर देशभक्त अब हमारे बीच नहीं रहा। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’ सेना ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका नाम हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
 
 
कारगिल युद्ध में उनका अमूल्य योगदान 
 
 
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ताशी नामग्याल ने अपनी बहादुरी से भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण सूचना प्रदान की। जब वे अपने खोए हुए याक (जंगली बैल) को खोजते हुए बटालिक पर्वत श्रृंखला में थे, तब उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को बंकर खोदते हुए देखा। यह स्थिति बेहद गंभीर थी, और उन्होंने तत्काल भारतीय सेना को सूचित किया। उनका यह कदम भारतीय सेना के लिए निर्णायक साबित हुआ, जिससे सेना ने दुश्मन पर प्रभावी तरीके से हमला करने की योजना बनाई।
 
 
भारतीय सेना की रणनीति को साकार किया 
 
 
ताशी नामग्याल की सतर्कता ने भारतीय सेना को पाकिस्तानी घुसपैठ का सही समय पर संकेत दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सैनिकों ने दुश्मन के मंसूबों को नाकाम किया। कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी हार दी, और इस युद्ध के दौरान ताशी नामग्याल का योगदान देश के लिए अमूल्य था। उनकी बहादुरी और राष्ट्रप्रेम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
 
 
द्रास में 25वें कारगिल विजय दिवस पर लिया था हिस्सा
 
 
सेना ने ताशी नामग्याल के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा, और उनका नाम भारतीय इतिहास में एक वीरता की मिसाल के रूप में अंकित रहेगा। ताशी नामग्याल ने इस वर्ष की शुरुआत में द्रास में 25वें कारगिल विजय दिवस के कार्यक्रम में अपनी बेटी त्सेरिंग डोलकर के साथ भाग लिया था, जो एक शिक्षिका हैं। उनके निधन से पूरा देश शोकाकुल है, लेकिन उनकी साहसिकता और देशभक्ति हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।