1979 का सपना 2024 में साकार ; रावी नदी पर शाहपुर कंडी परियोजना का काम पूरा, जम्मू कश्मीर के किसानों को लाभ

    16-फ़रवरी-2024
Total Views |
 
ShahPur Kandi Dam
  
पंजाब के रावी नदी पर बन रहे शाहपुर कंडी परियोजना (Shahpur Kandi Project) का काम पूरा कर लिया गया है। इस बाँध के शुरू होने से रावी नदी का पानी पंजाब के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के खेतों तक भी पहुंचेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक 25 फरवरी तक इस बाँध में जल भंडारण का काम शुरू हो जाएगा। बाँध में जल भंडारण का काम पूरा किये जाने के बाद पंजाब और जम्मू संभाग के किसानों के खेतों तक इस पानी को पहुँचाया जाएगा। इस बाँध से सबसे अधिक फायदा जम्मू कश्मीर के किसानों को होगा। रावी तवी विंग सिंचाई विभाग, जम्मू-कश्मीर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अश्वनी कुमार का कहना है कि इस परियोजना के तहत रावी नदी से जम्मू कश्मीर को प्रतिदिन 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा, जिससे कठुआ और सांबा जिलों में 32173 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। परियोजना से 200 मेगावाट बिजली उत्पादन का भी लक्ष्य है। परियोजना पर करीब 2,793 करोड़ रुपये लागत आई है। 
 
 
शाहपुर कंडी परियोजना की पृष्ठभूमि 
 
 
PIB द्वारा जारी रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर के बीच 1979 में एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए थे। समझौते के तहत पंजाब सरकार द्वारा रंजीत सागर डैम (थीन डैम) और शाहपुरकंडी डैम का निर्माण किया जाना था। रंजीत सागर डैम का निर्माण कार्य अगस्‍त 2000 में पूरा हो गया था। शाहपुरकंडी डैम परियोजना रावी नदी पर रंजीत सागर डैम से 11 किमी. Down Stream (अनुप्रवाह) तथा माधोपुर हेडवर्क्‍स से 8 किमी. प्रतिप्रवाह (UpStream) पर स्थित है। योजना आयोग ने नवंबर 2001 में इस परियोजना को प्रारंभिक स्तर पर मंज़ूरी दी थी और इसे त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (Accelerated Irrigation Benefit Programme- AIBP) के अंतर्गत शामिल किया गया था ताकि सिंचाई घटक के अंतर्गत इस परियोजना के लिये धन उपलब्ध कराया जा सके।

 
हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा ऊर्जा घटक के अंतर्गत राशि उपलब्ध न कराने और जम्मू-कश्मीर के साथ कई मुद्दों पर मतभेद होने के कारण इस परियोजना में कोई प्रगति नहीं हो सकी। इस संबंध में द्विपक्षीय स्‍तर पर कई बैठकें आयोजित की गईं तथा भारत सरकार के स्‍तर पर भी कई बैठकों का आयोजन हुआ। अंतत: Ministry of Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation के तत्त्वावधान में पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर ने 8 सितंबर, 2018 को नई दिल्‍ली में एक समझौते पर सहमति व्‍यक्‍त की थी। फिर केंद्र सरकार के सहयोग से वर्ष 2018 में इस 'शाहपुर कंडी परियोजना' को एक बार फिर शुरू किया गया था। हालाँकि बीच में कोरोना काल के दौरान निर्माण कार्य में देरी भी हुई लेकिन अब यह बाँध पूरी तरह बनकर है।
 
 
पानी की बर्बादी पर लगेगी रोक  
 
 
सिंधु नदी के जल बँटवारे के लिये 1960 में भारत और पाकिस्‍तान ने सिंधु जल संधि पर हस्‍ताक्षर किये थे। इस संधि के तहत भारत को 3 पूर्वी नदियों- रावी, ब्‍यास और सतलज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार प्राप्‍त हुआ था। लेकिन माधोपुर हेडवर्क्स से हर साल करीब 12 हजार क्यूसेक से अधिक पानी पाकिस्तान में बह जाता था। उसे रोकने के लिए सरकार के पास कोई मैकेनिज्म नहीं था। लेकिन अब इस बाँध के बनने से पानी की बर्बादी पर रोक लगेगी और सिन्धु जल समझौते के दौरान जो सहमति बनीं थी उतना ही पानी पाकिस्तान को मिल सकेगा बाकि 12 हजार क्यूसेक से अधिक पानी जोकि पाकिस्तान में बह जाता जाता था उसे भी रोका जा सकेगा। साथ ही रावी नदी के जल का उपयोग पंजाब और जम्मू कश्मीर के किसान कर सकेंगे।
 
 
बात करें प्रोजेक्ट के लागत की तो वर्ष 2013 में इस प्रोजेक्ट की लागत 2300 करोड़ रुपए तय हुई थी। लेकिन पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच कुछ मतभेदों को लेकर करीब 50 महीने तक काम रुका रहा। विवाद सुलझने के बाद 2018 में फिर से काम शुरू हुआ, जोकि अब 2715 करोड़ रुपए में पूरा होगा। यह प्रोजेक्ट रावी नदी पर बने 600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले रणजीत सागर बांध का पूरक है। इससे 206 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन होगा। साथ ही 37 हजार एकड़ जमीन भी सिंचित होगी।