
Story Of Major Yudhvir Singh : आज कहानी माँ भारती के एक ऐसे वीर सपूत की जिसने अपनी जान की परवाह ना करते हुए जोरदार धमाके के बीच आतंकी को मौत के घाट उतार बड़ी अनहोनी को टाल दिया था। तारीख थी 11 अप्रैल वर्ष 2022, वीरों की भूमि राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले मेजर युद्धवीर सिंह को जम्मू कश्मीर के एक गाँव में ड्यूटी पर तैनात किया गया था। ख़ुफ़िया इनपुट मिली थी कि जम्मू कश्मीर में आतंकी किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में है। लिहाजा इस घटना को रोकने के लिए जगह जगह तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। युद्धवीर सिंह को भी सड़क पर नाकाबंदी कर वाहनों को चेक करने का जिम्मा सौंपा गया था।
चूँकि ऐसी सूचना थी कि किसी वाहन के जरिये आतंकी इलाके में दाखिल हो सकते हैं लिहाजा हर आने जाने वाली गाड़ी को चेक किया जा रहा था। इस ऑपरेशन में मेजर युद्धवीर सिंह सबसे आगे मोर्चे पर तैनात थे। तभी अचानक आतंकियों की गाड़ी नाकाबंदी के पास पहुँचती है। सुरक्षाबलों को यह जानकारी मिल चुकी थी कि आतंकी इसी वाहन में हैं लिहाजा उन्होंने चारों तरफ से आतंकियों को घेर लिया। आतंकियों को भागने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा था। ऐसी सूरत में खुद को खतरे में देख आतंकियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। इस दौरान अपनी जान की परवाह ना करते हुए युद्धवीर सिंह ने आगे बढ़ कर मोर्चा संभाला और आतंकियों को जोरदार जवाब देना जारी रखा। अपनी गाड़ी से निकलकर आतंकी एक घर में छिपने में कामयाब हो गए।

घर में छिप कर आतंकी लगातार सुरक्षाबलों को अपना निशाना बना रहे थे। घातक हथियारों से गोलीबारी के अलावा वे विस्फोटक हमले भी कर रहे थे। लेकिन आतंकियों के इस नापाक मंसूबों को विफल करने के लिए युद्धवीर लगातार आगे बढ़ते जा रहे थे। आतंकियों द्वारा जारी धमाकों के बीच युद्धवीर रेंगते हुए आगे बढे और एक आतंकी के करीब पहुंचकर उसे मार गिराया। युद्धवीर ने तनिक भी अपनी जान की परवाह नहीं की और अंत तक आतंकियों को ढेर कर ही दम लिया। मेजर युद्धवीर सिंह की बहादुरी और कर्तव्य परायणता के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
विरासत में मिला था देश सेवा का जज्बा
दरअसल, युद्धवीर के भीतर देश सेवा का जज्बा उनके परिवार से विरासत में मिला था। उनकेक नाना लेफ्टिनेंट जनरल रहे कुंवर चिमन सिंह भी कई युद्धों में भारतीय सेना का नेतृत्व कर चुके हैं। युद्धवीर के पिता कीर्तिवर्धन सिंह भी सेना में कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हैं। उनकी मां श्रीमती दिव्या कंवर की प्रेरणा से ही वो सेना में गए। कुंवर चिमन सिंह के पिता खुशाल सिंह भी सेना में कर्नल रहे। ऐसे में युद्धवीर सिंह चौथी पीढ़ी के युवा सेना में है। उनका परिवार मूल रूप से कोटा में रहता है। शौर्य चक्र मिलने पर बीकानेर के सार्दुलगंज एरिया में स्थित युद्धवीर के ननिहाल में हर कोई खुश नजर आया। युद्धवीर पर अपने नाना लेफ्टिनेंट जनरल कुंवर चिमन सिंह का काफी प्रभाव नजर आया।