Battle Of Kutch : 9 अप्रैल का दिन भारतीय सैन्य इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। दरअसल आज ही के दिन 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान गुजरात की कच्छ की खाड़ी में CRPF की एक छोटी टुकड़ी ने इतिहास रचते हुए 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। युद्ध में अपनी वीरता का परिचय देते हुए CRPF के वीर बहादुर जवानों ने पाकिस्तान के हमले को सफलता पूर्वक नाकाम कर दिया। तभी से हर वर्ष 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुजरात के कच्छ स्थित सरदार पोस्ट पर हुए इस लड़ाई में CRPF के 6 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे जबकि 34 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई थी साथ ही चार पाकिस्तानी सैनिक भी गिरफ्तार कर लिए गए थे। आज की इस कड़ी में हम उसी युद्ध और CRPF जवानों की वीरता के बारे में जानेंगे।
दरअसल 1965 तक CRPF के जिम्मे ही भारत पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। साल था 1965 तारीख 8 और 9 अप्रैल की रात को पाकिस्तान की 51 इन्फैन्ट्री ब्रिगेड के 3500 जवानों की टुकड़ी, जिसमें 18 पंजाब बटालियान, 8 फ्रंटियर राइफल और 6 बलूच बटालियन शामिल थे, ने मिलकर डेजर्ट हॉक नाम के ऑपरेशन के तहत कच्छ की खाड़ी की सीमा में अचानक हमला कर दिया। उस समय CRPF के जवानों को जरा भी खबर नहीं थी कि ऐसा कुछ होने वाला है। पाकिस्तानी सेना का मकसद उन इलाकों पर कब्जा करना था जिनकी रक्षा की जिम्मेदारी सरदार पोस्ट के जवानों क जिम्मे थी। इस पोस्ट की रक्षा 2 CRPF की बटालियन कर रही थीं जिसमें 150 सैनिक थे। इस हमले के दौरान CRPF के हेड कॉन्स्टेबल भावना राम, सरदार पोस्ट के पूर्वी किनारे पर तैनाती थी। उन्हीं की वजह से घुसपैठियों को हतोत्साहित कर उस पोस्ट से बाहर निकाल पाना संभव हो सका।
पाकिस्तान की सेना के सामने CRPF के जवानों की संख्या और ताकत कुछ भी नहीं थी, लेकिन फिर पाकिस्तान अपने इरादों मे सफल नहीं हो पाया। पकिस्तानी सेना ने पोस्ट के इलाकों पर कब्जा करने के तीन प्रयास किए, लेकिन CRPF के जवानों ने शानदार बहादुरी और रणनीतिक इंटेलिजेंस का प्रदर्शन करते हुए हर बार पाकिस्तानी सेना को निराश होने पर मजबूर कर दिया। यह लड़ाई केवल 12 घंटे चली और अंततः पाकिस्तान की फौज को हार का सामना करते हुए हर बार की तरह इस बार भी वापस मुंह लटका कर वापस लौटना पड़ा।
जाते जाते पाकिस्तान की सेना ने अपने सैनिकों को 34 शव छोड़ दिए जिसमें दो अधिकारी थे और 4 सैनिकों को जिंदा पकड़ लिया गया। बाद में भारत पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल को सौंप दी गई और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को अंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई। यह इस तरह का पहला मुकाबला था जिसमें CRPF की पाकिस्तानी सैनिकों से सीधी लड़ाई हुई थी और उसमें जीत भी हासिल की गई।
इसमें CRPF के 6 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे और उन्हीं की बहादुरी की याद में हर साल 9 अप्रैल को शौर्य दिवस मनाया जाता है।