पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (POJK) में महंगाई, भुखमरी, पाकिस्तानी सेना के अत्याचार और क्रूरता के खिलाफ आम लोगों का विद्रोह लगातार जारी है। POJK पिछले 4 दिनों से युद्ध का मैदान बना हुआ है। पाकिस्तानी प्रशासन के अत्याचार के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और पूरा POJK हिंसा की आग में जल रहा है। मीरपुर, मुजफ्फराबाद, दादयाल, भिम्बर जैसे इलाके पूरी तरह से आग में धधक रहे हैं। वहीं पाकिस्तान ने लोगों के इस विरोध को दबाने के लिए हिंसक दमन शुरू कर दिया है और पाकिस्तानी सेना निहत्थे लोगों पर गोलियां चला रही है। ना सिर्फ लोगों बल्कि मासूम स्कूली छात्रों को भी अपना निशाना बना रही है। स्कूलों में आंसू गैस के गोले दाग रही है, सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां बरसा रही है। गत सोमवार को पाकिस्तानी रेंजर्स की गोलीबारी में 4 आम नागरिकों की मौत हुई है। इनमें 13 साल का मासूम बच्चा भी शामिल है।
पाकिस्तानी सेना के इस क्रूर अमानवीय रवैये के बावजूद भी POJK के लोगों का विरोध प्रदर्शन कम होने का नाम नहीं ले रहा है। भुखमरी, महंगाई, अत्यधिक टैक्स का बोझ, POJK की प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जैसे अनेक मांगों को लेकर आम लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। बढ़ते हिंसक झड़प को देखते हुए गत सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सब्सिडी पैकेज का लालच देकर लोगों को मनाने की कोशिश की लेकिन घाटी के लोगों ने इस्लामाबाद के झांसे में आने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाते हुए यह बता दिया कि POJK के लोग अब पाकिस्तान के झूठे झांसे में नहीं पड़ने वाले। 7 दशकों तक जिस तरह से पाकिस्तान ने POJK के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा अब उन अधिकारों की मांग को लेकर POJK के लोग एकजुट होकर मोर्चा खोल चुके हैं।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों का गुस्सा अचानक नहीं फूट पड़ा, इसकी आग काफी समय से सुलग रही थी, जो अब भड़क उठी है। पाकिस्तान ना सिर्फ इन लोगों के अधिकारों का हनन करता आया है। बल्कि प्राकृतिक खनिजों से परिपूर्ण POJK की धरती का अपने मकसद के लिए उपयोग भी करता आया है। पाकिस्तान यहाँ कि प्राकृतिक खनिजों का दोहन करता है, यहाँ के लोगों पर अत्याचार करता आया है। इसके अलावा POJK की धरती का उपयोग पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद के लिए करता आया है। भारत में जितने भी आतंकी हमले होते हैं उन आतंकी हमलों में शामिल आतंकवादियों को POJK की राजधानी मुजफ्फराबाद में ही ट्रेनिंग दी जाती है। पाकिस्तानी आर्मी, ISI इन आतंकियों को प्रशिक्षण प्रदान कर जम्मू कश्मीर व भारत में आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मुजफ्फराबाद के अलावा रावलकोट में भी इन आतंकियों को प्रशिक्षण मिलता है।
भातीय जम्मू कश्मीर का यह इलाका POJK 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। बीते 7 दशकों में इन स्थानों पर विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। कहने को यहाँ अपना सुप्रीम कोर्ट है, अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री है लेकिन सब कुछ पाकिस्तानी सेना के हाथों ही मॉनिटर किया जाता है। यहाँ के लोगों को ना ही खाने को दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है, ना ही बच्चों को शिक्षा, ना ही यहाँ कोई बेहतर अस्पताल है। यानि 7 दशकों में पाकिस्तान ने इसका उपयोग सिर्फ अपने मकसद के लिए किया है। POJK में सबसे अधिक पानी का स्रोत है। मंगला डैम भी यहीं लेकिन इसका फायदा POJK के लोगों को नहीं बल्कि पाकिस्तान पाने मकसद पूरा करने के लिए उठाता है। अब पाकिस्तान के इस रवैये से तंग आकर POJK के लोग लंबे वक्त से पाकिस्तान के खिलाफ ऐलान-ए-जंग का माहौल बना दिया है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जिस तरह से जम्मू कश्मीर में विकास हो रहा है उसे देखते हुए POJK के लोग भी भारत के साथ मिलना चाहते हैं।
दूसरी तरफ भारतीय संसद का भी POJK को लेकर अपना संकल्प है जिसे सर्वसम्मति से भारतीय संसद में लिया गया था। 22 फरवरी 1994 को देश की संसद ने यह संकल्प लिया था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। पाकिस्तान को भारत की इस भूमि को खुद खाली करना होगा। POJK की वापसी को लेकर कई मौकों पर देश के गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, विदेशमंत्री एस जयशंकर और सेना प्रमुख ने स्पष्ट बयान दिया है कि POJK भारत का हिस्सा है और वो भारत में आएगा। लेकिन सवाल है आखिरकार कब तक ?