अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर में लगातार एक-एक कर नया रिकॉर्ड स्थापित हो रहा है। एक दौर था जब अलगाववाद और आतंकवाद के भय से कश्मीर घाटी में मतदान का प्रतिशत सबसे निचले स्तर पर रहता था। लेकिन आज ना सिर्फ यह स्थिति बदली है बल्कि इस बार आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव में एक नया रिकॉर्ड बना है। गत सोमवार को चौथे चरण में कश्मीर संभाग के श्रीनगर सीट पर हुए मतदान में आम कश्मीरियों ने दिल खिलकर मतदान किया। शाम 6 बजे तक श्रीनगर सीट पर कुल 37.99 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। जोकि बीते 2 दशकों में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत रहा।
मतदान के दिन सुबह से ही मतदान केन्द्रों के बाहर लोगों की लंबी कतारें देखी गईं। फर्स्ट टाइम युवा वोटर हों या फिर बुजुर्ग वोटर, महिला हों या फिर दिव्यांग यहाँ हर कोई मतदान के लिए बेहद उत्साहित नजर आया। ख़ास बात यह है कि 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में हो रहे बदलाव का यह असर है कि इस बार ना तो अलगाववादी ताकतों की ओर से चुनाव का बहिष्कार किया गया, न ही आतंकियों की ओर से चुनाव से अलग रहने की धमकी दी गई। सुरक्षित वातावरण के कारण कश्मीर के लोग अपने घरों से बिना डरे बाहर निकल कर लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। देश को एक नई मजबूती प्रदान करते हुए आम कश्मीरियों ने सर्वाधिक मतदान का 28 वर्ष का एक नया रिकॉर्ड बना दिया।
बीते आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो 1989 में जब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का भयवाह दौर शुरू हुआ तब चुनाव में वर्ष 1996 (40.94 प्रतिशत) मतदान हुआ और अब सबसे अधिक 37.98 फीसदी मतदान हुआ। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर में महज 14.43 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं, 2014 में 25.86 फीसदी वोटिंग हुई थी। श्रीनगर लोकसभा सीट पर मतदान के पहले 4 घंटों में ही 2019 के कुल मतदान प्रतिशत का रिकॉर्ड टूट गया। श्रीनगर सीट पर सुबह 11 बजे तक 14.94% मतदान हुआ। 3 बजे के मतदान के बाद यह रिकॉर्ड भी टूट गया। श्रीनगर में 3 बजे तक 29.93 प्रतिशत वोटिंग हुई है। वहीं, 5 बजे तक 36.01% मतदान हुआ। मतदान की समाप्ति तक यह आंकड़ा 37.99 पहुँच गया।
पूरे निर्वाचन क्षेत्र में 2135 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जहां 8500 से ज्यादा मतदान कर्मी तैनात थे। सभी मतदान केंद्रों की सीसीटीवी के जरिए निगरानी की जा रही थी। दो लाख के करीब पहली बार के मतदाता और विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं के लिए 26 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के लिए कुल पंजीकृत विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं थे। यानि साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद अब घाटी में तेजी से सुधार हो रहा है। तेज गति से हो रहे विकास कार्यों को स्थानीय जनता भी स्वीकार कर रही है। कश्मीर की आम जनता अब भारत के लोकतंत्र को और मजबूत करने में अपना अहम् योगदान दे रहे हैं। जबकि वहीं दूसरी तरफ पडोसी देश पाकिस्तान जिसने जम्मू कश्मीर को दशकों तक आतंकवाद का दर्द दिया आज खुद अपनी ही लगाई आग में झुलस रहा है। आज पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक तंगहाली, भुखमरी, महंगाई और आतंकवाद, जैसे कई समस्याओं से जूझ रहा है। वहीं दूसरी तरफ नए भारत का नया जम्मू कश्मीर सुख समृद्धि के साथ फिर एक बार फल फुल रहा है।
इस बार ये आंकड़ें इसीलिए भी बड़े हैं क्योंकि इस बार श्रीनगर लोकसभा के परिसीमन के बाद त्राल, शोपियां और पुलवामा विधानसभा का क्षेत्र श्रीनगर लोकसभा में जोड़ा गया था। जो कश्मीर को थोड़ा-बहुत भी जानता है, तो उसको पता है कि ये तीनों विधानसभा क्षेत्र किस कदर संवेदनशील रहे हैं आतंकवाद और अलगाववाद से पीड़ित थे। लेकिन इस बार यहां की वोटिंग देखिए पुलवामा में 43.39 %, शोपियां में 47.88 %. और त्राल में 40.29 % वोटिंग हुई। ऐसी बंपर वोटिंग.. निश्चित कश्मीर की जीत है, भारत के संविधान की जीत है.. एक अखंड भारत की जीत है। ये देश की मजबूती का जिवंत उदहारण है।