30 मई 1999, मेजर राजेश सिंह अधिकारी की शौर्यगाथा ; कारगिल का वो ‘शूरवीर’ जिसने महज 28 वर्ष की आयु में देश के लिए दिया अपना सर्वोच्च बलिदान

30 May 2024 11:50:44

Major Rajesh Singh Adhikari Kargil War Hero
 
 
मेजर राजेश सिंह अधिकारी
 
जन्म: 25 दिसंबर, 1970 नैनीताल, उत्तराखंड
 
बलिदान : 30 मई, 1999 (उम्र 28 वर्ष)
 
यूनिट : 18 ग्रेनेडियर्स
 
मरणोपरांत वीर चक्र
 
 
संक्षिप्त जीवन परिचय
 
 
राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर 1970 को नैनीताल में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफ़स कॉलेज से 1987 में हुई और माध्यमिक शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज नैनीताल से। उन्होंने बीएससी कुमाऊँ यूनिवर्सिटी, नैनीताल से किया। शुरुआत से ही सेना के प्रति राजेश का जो जब्जा था वो उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में ले आया और 11 दिसंबर 1993 को मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेनेडियर में कमिशन हुए।
  
 
मेजर राजेश सिंह अधिकारी इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 11 दिसंबर, 1993 को सेना में भर्ती हुए। कारगिल युद्ध के दौरान 30 मई को उनकी यूनिट को 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित तोलोलिंग चोटी को पाकिस्तानी सैनिकों से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। रणनीतिक और सामरिक रूप से यह पोजीशन भारतीय सेना के लिए बेहद अहम थी क्योंकि यहीं पर भारतीय सेना बंकर बनाकर टाइगर हिल पर बैठे दुश्मनों पर निशाना साध सकती थी।
 
 
Major Rajesh Singh Adhikari
 
 
मेजर अधिकारी अपनी कंपनी की अगुआई कर रहे थे, तभी दुश्मन सेना ने उन पर दोनों तरफ से मशीनगनों से हमला शुरू कर दिया। मेजर अधिकारी ने तुरंत अपनी रॉकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन को उलझाए रखने का निर्देश दिया और दुश्मन के 2 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद मेजर अधिकारी ने धीरज से काम लेते हुए अपनी मीडियम मशीनगन टुकड़ी को एक चट्टान के पीछे मोर्चा लेने और दुश्मन को उलझाए रखने को कहा, और अपनी हमलावर टीम के साथ एक-एक इंच आगे बढ़ते रहे।
 
 
दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन मोर्चा लेने के दौरान ही मेजर अधिकारी दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए, फिर भी वह अपने सैनिकों को निर्देशित करते रहे और वहां से हटने से मना कर दिया। उन्होने दुश्मन के दूसरे बंकर पर हमला किया और वहाँ काबिज सैनिक को मार गिराया। जिसके बाद मेजर अधिकारी ने तोलोलिंग ऑपरेशन में 2 बंकरों पर कब्जा किया जो अंत में प्वाइंट 4590 को जीतने में मददगार साबित हुए। इस बीच दुश्मन सेना की गोलियों से घायल हुए मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने वीरता और अदम्य साहस का परिचय देते हुए अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।
 
 
Major Rajesh Singh Adhikari  
 
भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन करने के लिए उन्हे मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। मां भारती के इस वीर सपूत को हमारा नमन। 
 
 
 
 
 
 
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