13 जून, 1999: कारगिल युद्ध के महानायक मेजर विवेक गुप्ता के शौर्य की अनसुनी दास्तान, जिनके बलिदान पर कपिल देव ने बायकॉट करने को कहा था भारत-पाकिस्तान मैच

13 Jun 2024 12:44:04

Major Vivek Gupta Mahaveer Chakra
 
 
25 Year Of Kargil War : कारगिल युद्ध के अमर नायकों की प्रथम पंक्ति में अमर बलिदानी मेजर विवेक गुप्ता का नाम बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। कारगिल युद्ध के दौरान मेजर विवेक गुप्ता ने जिस तरह अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया, उसकी चर्चा युगों-युगों तक की जाएगी।
 
 
ऑपरेशन विजय: 12 जून 1999
 
कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने सामरिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण चोटी तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था। लिहाजा अब भारतीय सेना के समक्ष इस चोटी को दुश्मन सेना के कब्जे से मुक्त कराने का पहला लक्ष्य था। कमान अधिकारी ने मेजर विवेक गुप्ता को तोलोलिंग पहाड़ियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर करने और चोटी को मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी।
सैन्य नजरिए से यह काम बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेजर विवेक गुप्ता और उनके साथियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। 12 जून 1999 को मेजर विवेक गुप्ता ने तोलोलिंग चोटी को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराने के दौरान जो जांबाजी दिखाई, उससे दुश्मन के दांत खट्टे हो गए। मेजर गुप्ता और बटालियन ने अभूतपूर्व साहस और जांबाजी दिखाते हुए उस पहाड़ी से घुसपैठियों को भागने पर मजबूर कर दिया।
 
Tololing Hill During Kargil War 1999
 
2 राजपूताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में 12 जून की रात को तोलोलिंग चोटी पर विजय प्राप्त करने के लिए कंपनी रवाना हुई। मेजर विवेक का पाकिस्तानी सेना से आमना-सामना हुआ। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन सेना ने मेजर गुप्ता और उनकी टीम पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें मेजर गुप्ता को 2 गोलियां लगीं। परंतु गोलियाँ लगने के बावजूद घायल अवस्था में मेजर गुप्ता ने 3 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर बंकर पर कब्जा कर लिया।
 
 
बंकर पर कब्जा करने के बाद मेजर विवेक गुप्ता ने वहां तिरंगा लहराया। 13 जून को इस बेहद चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर लिया गया। हालांकि इस बीच मेजर गुप्ता गोली लगने के कारण गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। परंतु घायल अवस्था के बावजूद भी वो अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों से लोहा लेते रहे। उनके सैन्य कौशल के चलते कई दुश्मन मारे गए और बड़ा क्षेत्र भारतीय सेना के कब्जे में आ गया। अंत में माँ भारती की रक्षा करते हुए मेजर विवेक गुप्ता वीरगति को प्राप्त हो गए।
 
Major Vivek Gupta Mahaveer Chakra Awardee Wife
 
 
महावीर चक्र
 
 
मेजर विवेक गुप्ता का जन्म 1970 में देहरादून में हुआ था। उनके पिता कर्नल बीआरएस गुप्ता भी फौज में थे। रण क्षेत्र में महान पराक्रम और असाधारण वीरता दिखाने के लिए मेजर विवेक गुप्ता को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
 
 
कपिल देव की घोषणा 
 
 
साल 1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था, उन्हीं दिनों क्रिकेट वर्ल्ड कप भी चल रहा था। समाचार पत्रों और टेलीविजन पर जब कारगिल युद्ध के मैदान में बलिदान हुए देश के वीर सपूतों की बहादुरी की खबरें आतीं, तो लोग भावुक हो जाते और आंसुओं का सैलाब आ जाता। देश की आम जनता के साथ-साथ फिल्मी कलाकारों और क्रिकेटरों में भी शहीदों को लेकर भावनाएं उमड़ रही थीं।
 
 
इसी दौरान समाचार पत्रों में एक ऐसी तस्वीर छपी, जिसे देखने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए। वो तस्वीर थी मेजर विवेक गुप्ता के बलिदान की। कपिल देव को पाकिस्तान की इस हरकत पर ऐसा गुस्सा आया कि उन्होंने भारत सरकार से कहा कि बहुत हुआ, अब बंद करो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना, नहीं चाहिए हमें पाकिस्तान से खेल की कमाई।
 
 
मेजर गुप्ता को अंतिम विदाई
 
 
मेजर विवेक गुप्ता का जब पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंचा, तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए आम लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। हर कोई अपने नायक का अंतिम दर्शन कर उन्हें नमन करना चाहता था। बारी-बारी से सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। मेजर विवेक गुप्ता की पत्नी कैप्टन जयश्री भी सेना की ड्रेस में वहां पहुंची और अपने अमर बलिदानी पति को सेल्यूट किया। इस घटना को कपिल देव ने भी देखा। जैसे ही कैप्टन जयश्री ने सैन्य धुन पर सलामी दी, कपिल देव टीवी के सामने खड़े हो गए और रोने लगे। ये दोनों तस्वीरें जब मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित हुईं, तो देश में उबाल आ गया।
 
 
 
देश के वीर जवान, माँ भारती के लाल मेजर विवेक गुप्ता के बलिदान को हमारा नमन। 
 
 
 
 
 
Powered By Sangraha 9.0