
आज से ठीक 6 वर्ष पूर्व जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के रायफलमैन औरंगजेब खान को आतंकवादियों ने अगवा कर निर्मम हत्या कर दी थी। 14 जून को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में औरंगजेब का शव बरामद हुआ था। वह जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री का हिस्सा थे और 44 राष्ट्रीय रायफल्स के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। जिस बटालियन में औरंगजेब तैनात थे, उसने 2017 में 260 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था। इसी कारण औरंगजेब आतंकियों के निशाने पर थे, लेकिन वे निडर होकर देश की सेवा में जुटे थे।
14 जून को औरंगजेब ईद की छुट्टी पर अपने घर जा रहे थे। शोपियां से टैक्सी लेकर जैसे ही वे आगे बढ़े, आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया। उस समय औरंगजेब अकेले थे और आतंकियों ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस और सेना के संयुक्त दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर औरंगजेब का शव बरामद किया, जो गोलियों से छलनी था। आतंकियों ने औरंगजेब को प्रताड़ित करते हुए एक वीडियो भी वायरल किया था, जिसमें उनकी आँखों में कोई डर नहीं था।
आतंकियों से लोहा लेने के लिए हर वक्त रहते थे तैयार
24 दिसंबर 1995 को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में जन्मे औरंगजेब 22 वर्ष की आयु में वीरगति को प्राप्त हुए। उनके भीतर देशभक्ति का ऐसा जज्बा था कि आतंकी भी उनसे कांपते थे। 30 अप्रैल 2018 को हिज्बुल आतंकी समीर को मार गिराने वाले मेजर रोहित शुक्ला की टीम में औरंगजेब भी शामिल थे। उन्होंने कई बड़े ऑपरेशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था, जिसके कारण वे आतंकियों के निशाने पर थे।
मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित
औरंगजेब की असाधारण वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उनके पिता मुहम्मद हनीफ भी सेवानिवृत्त भारतीय सेना के जवान हैं। औरंगजेब के बलिदान के बाद, उनके दो अन्य भाई मोहम्मद तारिक़ और मोहम्मद शब्बीर भी 2019 में भारतीय सेना में शामिल हो गए। यह देशभक्ति की सबसे बड़ी मिसाल है, जहाँ माता-पिता ने अपने बेटे की शहादत के बाद अपने अन्य दो सपूतों को भी देश के नाम कर दिया।
मां भारती के ऐसे वीर सपूत औरंगजेब को हमारा नमन।