देश में अग्निपथ योजना की क्यों है आवश्यकता ? जानें अग्निवीर योजना का इतिहास

    09-जुलाई-2024
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What Is AgniVeer Yojna
 
देश की सत्ता में लगातार तीसरी बार लौटी मोदी सरकार को घेरने के लिए, अति-उत्साहित विपक्ष ने कईं मुद्दे तैयार कर रखें हैं। बेरोजगारी, महंगाई, आरक्षण और अग्निवीर योजना। लेकिन इनमें से विपक्षी नेताओं के लिए इन दिनों सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है  अग्निपथ योजना। 2022 में लागू इस योजना के तहत तैनात अग्निवीरों पर राजनीति संसद से लेकर अग्निवीर की अंतिम विदाई तक जा पहुंची है। अग्निपथ योजना में क्या-क्या खामियां है, ये बताते हुए विपक्ष अग्निपथ को खत्म करने की लगातार मांग कर रहा है। कई मौकों पर तो राहुल गाँधी ने अग्निपथ योजना को लेकर कुछ गलत जानकारियां भी सांझा की जिसे लेकर रक्षा मंत्रालय द्वारा स्पष्ट जानकारी सांझा करनी पड़ी। लेकिन इस योजना की आवश्यकता क्यों है, इसको लेकर हमारे मन में भी ढेरों प्रश्न थे... आखिर सेना और देश की रक्षा-सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले में सरकार इस योजना को लेकर क्यों आई। हमने जो खोजा वो आपको समझाने की कोशिश करते हैं। 
 
 
अग्निपथ योजना का इतिहास ? 
 
 
अग्निपथ योजना का एक बड़ा इतिहास है और इसे समझने के लिए कि यह कैसे और क्यों आई, हमें कुछ साल पीछे जाना होगा। 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, युद्ध हमने भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के बल पर जीता। लेकिन इस युद्ध ने हमारी सैन्य रणनीतिक व्यवस्था और सैन्य संसाधनों की कमी को भी झटके से उजागर कर लिया। इसके लिए वाजपेयी सरकार द्वारा एक कारगिल रिव्यू कमेटी बनाई गई, ताकि हमारी सैन्य तैयारियों की कमियों को पहचाना जाए और उनमें त्वरित सुधार किया जाए।
 
 
इस समिति ने सरकार को कई बडे़े सुझाव दिए...कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशें पहली बार बड़े पैमाने पर लागू की गईं ताकि हमारी सशस्त्र बलों की संरचना, प्रशिक्षण, संचालन , निगरानी और इंटैलिजेंस की जरूरतों को सही किया जा सके। इसी समिति ने ये भी पाया कि हमारे सशस्त्र बलों की प्रोफ़ाइल युवा होनी चाहिए। जब कारगिल युद्ध में हमारे जवान खड़ी दुर्गम.. खड़ी पहाड़ियों में एक बहुत ही कठिन लड़ाई लड़ रहे थे, तो स्वाभाविक है कि अधिक उम्र के जवानों की तुलना में हमारे कम उम्र के नौजवान ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे। चूकिं LoC से लेकर, चीन के साथ लाइन ऑफ एक्टुअल कंट्रोल (LAC) हो..या उत्तर-पूर्व में भारत-चीन बॉर्डर (Indo-China Border)... भविष्य में युद्ध की संभावनाओं के क्षेत्र पर्वतीय ही होने वाले हैं, इसीलिए सेना की औसत एज प्रोफाइल जवान हो तो, उतना ही बेहतर। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि अधिकारी रैंक के लिए भी इसी तरह का फीडबैक दिया गया था।

What Is AgniVeer Yojna 
 
इसके कारगिल रिव्यू कमेटी के अलावा एक मंत्रियों की एक कमेटी भी इस पर काम कर रही थी, सैन्य एक्सपर्ट्स से मशवरे के बाद उन्होंने भी इसी तरह की सिफारिश की थी। कारगिल समिति की ज्यादातर सिफारिशों को तो मान लिया गया था, लेकिन इस सिफारिश पर तत्कालीन वाजपेयी सरकार में चर्चा हुई, जरूर लेकिन इस पर कोई काम नहीं किया।
 
 
इसके बाद 14वीं लोकसभा, यानि UPA-1 के कार्यकाल में रक्षा संबंधी स्थायी समिति में जब सशस्त्र बलों की संरचना पर चर्चा हुई, तब भी सैन्य प्रोफ़ाइल को युवा बनाने पर विस्तार से चर्चा की गई। इस समिति में भी सुझाव सामने आया कि नॉन कमीशंड रैंक के जवानों को भी शॉर्ट सर्विस ऑफिसर्स की तरह भर्ती किया जाए, जवान शॉर्ट सर्विस के लिए सेना में सेवा देंगे, और कुछ सालों बाद वो सेवा मुक्त होकर देश में अन्य संस्थानों में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार होंगे। खासतौर पर अर्धसैनिक बलों और राज्यों की पुलिस में वो भर्ती हो सकेंगे। लेकिन UPA-1 काल में भी इस पर सिर्फ गहन चर्चा हुई, लेकिन UPA काल में इसको लागू नहीं किया गया।
 
 
इससे पहले 5वें केंद्रीय वेतन आयोग की समीक्षा में भी जब सशस्त्र बलों के भत्तों, वेतन और अन्य वित्तीय पहलुओं की बात आई, तब भी यहीं सिफारिश की गई थी कि सेना को सही आकार में होना चाहिए, इससे सेना में जवानों के उचित वेतन, पेंशन और अन्य खर्चों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। इसमें भी सेना के प्रोफाइल को युवा रखने का सुझाव दिया गया। लेकिन ये भी अनसुना कर दिया गया।   
  
 
इसके बाद साल 2014 में 7वें केंद्रीय वेतन आयोग में भी इसी तरह की सिफारिशें की गईं, आयोग ने सुझाव दिया कि शॉर्ट टर्म सर्विस पूरी करने के बाद जवानों के अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों में प्लेसमेंट की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन साल 2019 तक में इसको लेकर चर्चा हरेक स्तर पर होती रही, लेकिन मोदी के पहले कार्यकाल में भी ये योजना किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। 
 
 
फिर जब 2019 में दूसरी बार मोदी सरकार सत्ता में आई और उन्होंने पहली बार CDS पद घोषित किया और CDS के साथ, रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों का विभाग बनाया गया। तब इसके बाद सेना, नौसेना, वायु सेना और रक्षा मंत्रालय द्वारा बड़े विस्तार से इस विषय पर अध्ययन किया गया, गहन चर्चा और रिसर्च हुई, सैन्य स्तर पर हरेक पहलुओं की गहन समीक्षा की गई। फिर इस कार्यान्वयन शुरू हुआ, सैन्य स्तर पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट्स में जिन बिंदुओं के कारण अग्निपथ योजना आवश्यकता क्यों है और जिन बिंदुओं के आधार पर इसको फाइनली 2022 में लागू किया गया, वो कुछ ऐसे थे:
 
 
What Is AgniVeer Yojna
 
 
1. सैन्यकर्मियों का युवा प्रोफाइल तैयार करना: अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन का एक उद्देश्य यह है कि सैन्यकर्मियों की औसत आयु में कमी लाई जाए।
 
इसकी आवश्यकता वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद महसूस की गई थी। इसके कई दशकों बाद ‘कारगिल समीक्षा समिति’ ने भी इस आवश्यकता पर बल दिया था। योजना से पहले भारतीय सेना में महज 19% कर्मी 25 वर्ष से कम आयु के थे। चूँकि चीन और पाकिस्तान दोनों के पास ही पर्वतीय इलाके हैं, कम आयु प्रोफ़ाइल की भारतीय इकाइयाँ इन भूभागों में बेहतर सैन्य प्रदर्शन करेंगी।
 
 
2. भविष्य के लिए तैयारी: पिछले 20 सालों में युद्ध की प्रकृति और लड़ने का तरीका बहुत तेजी से बदला है, आज युद्ध सीमा पर नहीं, साइबर, और अंतरिक्ष की दुनिया की तरफ बढ़ रहा है। सैनिकों के लिए और सेना के संसाधनों में तकनीक से अधिक से अधिक सुसज्जित होना बेहद जरूरी है। लिहाजा सेना में नई पीढ़ी के नौजवानों होना जरूरी है, और सैन्य बजट का अधिक से अधिक इस्तेमाल तकनीकी संसाधनों से लैस करने में किया सके।
 
 
3. डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट पर ध्यान देना: हर साल रक्षा बजट का आधे से भी अधिक भाग पेंशन के लिये आवंटित होता है जबकि R&D के लिये सिर्फ 5 पर्सेंट ही आवंटन होता है। यानि बदलती दुनिया में सैन्य तैयारियों के मामले में चीन जैसे दुश्मनों से भारत की सेना का पीछे रहना लाजिमी है। इसीलिए सैन्य बजट में से वेतन-पेंशन के बोझ को कम करने के लिए अग्निपथ योजना सामने आयी। शॉर्ट टर्म योजना से वेतन-पेंशन पर खर्च होने वाला पैसा सेना के अनुसंधान एवं विकास में निवेश किया जा सकेगा।
 
 
4. सैन्य-प्रशिक्षित संख्या बल का बोलबाला: इजराइल जैसा छोटा देश कैसे दुश्मनों से घिरा होने के बावजूद भी सुरक्षित है, इजराइल के सैन्य प्रशिक्षित नागरिक, इजराइल की सबसे बड़ी शक्ति है। इजराइल में हरेक युवा का सैन्य प्रक्षिशण जरूरी है, पुरूष हो या महिला, सभी को लगभग 3 साल की सैन्य सेवा देना अनिवार्य है, सैन्य सेवा के बाद ये युवा अन्य क्षेत्र में करियर बनाते हैं। ये इतने अनुशासित और प्रशिक्षित हो चुके होते हैं, कि हरेक क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। इसीलिए चाहे टेक्नोलॉजी हो, सैन्य उत्पाद हों, यहां तक कि स्टार्ट-अप की दुनिया... हरेक क्षेत्र में इजराइल का दबदबा है.. ये कहें कि कब्जा है। और हाल ही में 7 सितंबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद, जब देश को सैनिकों जरूरत पड़ी तो, यहीं आम नागरिक दोबारा सेना में सेवा के लिए लौट आये और देश के लिए मोर्चे पर लड़े।
 
 
ये एक तरह से अग्निपथ योजना इसी योजना से प्रेरित है, भारत में भी एक समय के बाद सैन्य प्रशिक्षण पाये युवाओं की बढ़ोत्तरी होगी, जब सेना में प्रशिक्षण के बाद, किसी भी अन्य क्षेत्र में काम करेंगे तो निश्चित ही कामयाबी के झंड़े गाड़ेंगे। और जब देश को जरूरत होगी, तो अधिक से अधिक संख्या में सैनिक सुलभता से उपलब्ध हो जायेंगे, देश की कुल सैनिक क्षमता में अत्यधिक बढ़ोतरी हो जाएगी जिससे चीन, पाकिस्तान जैसे देश भारत पर आँख उठाने की सोच भी नहीं पायेंगे।
 
 
तो अब तक तो हमने देशहित की बात की...अब सवाल उठता है कि अग्निवीरों के लिए इस योजना में क्या है?
 
 
इस योजना में 17.5 वर्ष से 23 वर्ष की आयु के युवा आवेदन करने के पात्र हैं।
 
 
भर्ती के बाद अग्निवीरों के 4 वर्षों तक औसतन 24 हजार इन हैंड सैलरी मिलेगी।
 
 
4 वर्ष की सेवा अवधि पूरी होने पर एकमुश्त 11.71 लाख रुपए एक साथ दिए जाएंगे।
 
 
सेवा के दौरान 4 वर्ष की अवधि के लिए 48 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर भी दिया जा रहा है, वीरगति पाने की स्थिति में परिवार को 1 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान है।
 
 
सेवा पूरी होने के बाद सेना अग्निवीर को एक स्किल सर्टिफिकेट देगी, जोकि उनके भविष्य के करियर में कारगर साबित होगा।
 

सिर्फ यहीं नहीं...कुल अग्निवीरों में से 25 फीसदी जवानों को सेना में भी फुल टर्म सैनिक के तौर पर सेवा देने का अवसर दिया जाएगा। यानि अग्निवीर के बाद सेना में सेवा जारी रहने की संभावना बरकरार रहेगी।
 
 
बाकी 75 पर्सेंट जवानों के लिए केंद्र के अन्य सशस्त्र बल, जैसे CRPF और CISF ऐसे रक्षा क्षेत्र के 16 उपक्रमों में 10 फीसदी पद आरक्षित किए गए  हैं।
 
 
ये आरक्षण पूर्व-सैनिकों के लिये वर्तमान में उपलब्ध आरक्षण के अतिरिक्त है।
 
 
साथ ही अर्द्ध सैनिक बलों में भर्ती के लिए ऊपरी सीमा में भी छूट दी गई है।
 
 
इसके अलावा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि कुछ राज्यों ने संबंधित सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों की नियुक्ति को वरीयता देने की घोषणा की है।
 
 
शिक्षा मंत्रालय ने सेवारत अग्निवीरों के लिए तीन-वर्षीय कौशल-आधारित स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है जो सशस्त्र बलों में कार्यकाल के दौरान प्राप्त प्रशिक्षण को मान्यता प्रदान करेगा। ये तो महज शुरुआत है। सरकार लगातार अग्निवीरों की राह में आने वाली हरेक कठिनाईयों को खत्म करने का लगातार दावा करती रही है।
 
 
तो ये वो तर्क, पहलु थे.... जिसके चलते अग्निपथ योजना को लाया गया। हमारा मकसद ये स्थापित करना कतई नहीं कि अग्निपथ योजना ही अंतिम रास्ता है, योजना के धरातल पर आने के बाद असली परीक्षा होती है। वहीं चुनौती इस योजना के भविष्य भी तय करेगी। खुले मन से योजना पर चर्चा से ही बेहतर रास्ता निकलेगा। लेकिन यह भी सत्य है कि देश की सुरक्षा, सुरक्षा से जुड़े पहलुओं और देश की सेना पर राजनीति करने से बचना चाहिए।