दक्षिण कश्मीर संभाग के हिमालयी क्षेत्र में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बाबा बर्फ़ानी की पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन के लिए यह तीर्थ यात्रा प्रत्येक वर्ष आयोजित होती है। बाबा बर्फ़ानी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु केवल पैदल मार्ग या टट्टू के जरिए ही पहुंच सकते हैं। इस दौरान लिड्डर घाटी के आख़िर में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जल्द ही श्रद्धालुओं की यह समस्या भी दूर होने वाली है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर सरकार अब बालटाल मार्ग से सीधे पवित्र गुफा तक रोपवे बनाने की तैयारी में है।
18 रोप-वे परियोजनाओं को मंजूरी
श्री बाबा अमरनाथ की वार्षिक यात्रा पर आने वाले भक्तों को रोपवे बनने के बाद पैदल दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में पर्वतमाला परियोजना के तहत 18 रोपवे परियोजनाएं मंजूर की गई हैं। इन 18 रोपवे परियोजनाओं में से तीन की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिनमें से बालटाल से अमरनाथ गुफा तक रोपवे परियोजना भी शामिल है। बालटाल-अमरनाथ गुफा के अलावा मखदूम साहिब-हरिपर्बत, भद्रवाह-सियोजधार भी इस सूची में शामिल हैं। इसके अलावा नाशरी टनल-सनासर, शंकराचार्य, सोनमर्ग-थाजीवास के लिए सलाह जारी है।
10 घंटे की दूरी अब 40 मिनट में होगी पूरी
रोपवे निर्माण करने वाली नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की कंपनी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) ने प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बालटाल से बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा के लिए 9 किलोमीटर का रोपवे होगा। बालटाल से पैदल पवित्र गुफा की दूरी 14 किमी है, जोकि 10 घंटे में पूरी होती है। लेकिन रोपवे के निर्माण से यह दूरी घटकर 40 मिनट की रह जाएगी। यानी इससे ना सिर्फ श्रद्धालुओं के समय की बचत होगी, बल्कि अधिक संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फ़ानी के दरबार में दर्शन करने पहुंचेंगे।
इस सिलसिले में मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश में पर्वतमाला के तहत शुरू की जाने वाली प्रस्तावित परियोजनाओं पर हुई प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर रोपवे परियोजनाओं के निर्माण के संबंध में NHLML की ओर से रिपोर्ट पर की गई प्रगति की जानकारी मांगी। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों पर जोर दिया कि वह प्रक्रिया में तेजी लाएं ताकि तकनीकी रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं पर आगे बढ़ने के लिए स्पष्ट हो सकें।
यात्रा मार्ग
मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग पर बेहद ही कठिनाई होती है। लिहाजा इसीलिए अमरनाथ यात्रा मार्ग को जुलाई-अगस्त के आसपास श्रावण के महीने में ही जनता के लिए खोला जाता है। सड़क के रास्ते अमरनाथ पहुंचने के लिए पहले जम्मू तक जाना होगा फिर जम्मू से श्रीनगर तक का सफर करना होता है। श्रीनगर से तीर्थयात्री पहलगाम या बालटाल पहुंचते हैं। पहलगाम या बालटाल तक आप किसी भी वाहन से पहुंच सकते हैं, लेकिन इससे आगे का सफर आपको पैदल ही करना होता है क्योंकि पहलगाम और बालटाल से ही श्री अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है और पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए यहां से दो रास्ते निकलते हैं। पहलगाम से अमरनाथ की पवित्र गुफा की दूरी जहां करीब 48 किलोमीटर है वहीं बालटाल से गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है। यहां से तीर्थयात्रियों को पैदल मार्ग से ही गुफा तक यात्रा करनी होती है।
पहलगाम मार्ग
चूंकि बालटाल से अमरनाथ गुफा तक की दूरी कम है और यह छोटा रूट है, लिहाजा तीर्थयात्री कम समय में गुफा तक पहुंच सकते हैं। लेकिन यह रास्ता काफी कठिन और सीधी चढ़ाई वाला है, इसलिए इस रूट से ज्यादातर बुजुर्ग और बीमार नहीं जाते हैं। जबकि बात करें पहलगाम रूट की तो यह अमरनाथ यात्रा का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रूट है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में करीब 3 दिन लगते हैं, लेकिन यह ज्यादा कठिन नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी का आता है, जो पहलगाम बेस कैंप से करीब 16 किलोमीटर दूर है। यहां तक रास्ता लगभग सपाट होता है, इसके बाद चढ़ाई शुरू होती है। अगला स्टॉप 3 किलोमीटर आगे पिस्सू टॉप है।
तीसरा पड़ाव शेषनाग है, जो पिस्सू टॉप से करीब 9 किलोमीटर दूर है। शेषनाग के बाद अगला पड़ाव पंचतरणी का आता है, जो शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर है। पंचतरणी से पवित्र गुफा केवल 6 किलोमीटर दूर रह जाती है। पहले पहलगाम से गुफा तक 46 किमी लंबा रास्ता 3 से 4 फीट और बालटाल वाला रूट 2 फीट चौड़ा था। अब इसे 14 फीट तक चौड़ा किया गया है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, बालटाल से गुफा तक का 14 किमी रूट 7 से 12 फीट तक चौड़ा हो गया है। यह मोटरेबल रोड है। साथ ही हेलिकॉप्टर की सर्विस भी उपलब्ध है।