भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement, 1942-43), जिसे 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और निर्णायक चरण था। यह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ और इसके परिणामस्वरूप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन को तत्काल भारत छोड़ने के लिए मजबूर करना था।
आन्दोलन की पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीय नेताओं की सहमति के भारत को युद्ध में शामिल कर लिया था। इससे भारतीय जनमानस में असंतोष और आक्रोश बढ़ गया था। कांग्रेस के नेता चाहते थे कि ब्रिटिश सरकार तुरंत भारत को स्वतंत्रता दे ताकि भारतीय अपने भविष्य का निर्णय स्वयं कर सकें। इसी पृष्ठभूमि में 1942 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' की नींव पड़ी।
8 अगस्त 1942 को बंबई (अब मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में ब्रिटिश शासन को तत्काल भारत छोड़ने की मांग की गई। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन का नेतृत्व करते हुए अपना प्रसिद्ध नारा "करो या मरो" (Do or Die) दिया।
आन्दोलन से जुड़े प्रमुख नेता
महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुए इस आन्दोलन में जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण, और अन्य प्रमुख नेता इस आंदोलन में सक्रिय थे। आंदोलन के पहले ही दिन ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी सहित प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
ब्रिटिश सरकार द्वारा नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया। छात्रों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। जगह-जगह हड़ताल, प्रदर्शन, और हिंसक गतिविधियों के माध्यम से लोग ब्रिटिश शासन का विरोध करने लगे। सरकारी कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों, और टेलीग्राफ लाइनें को निशाना बनाया गया। कई जगहों पर लोगों ने समानांतर सरकारें भी स्थापित कर दीं।
ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति
ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए कड़ी दमनकारी नीतियां अपनाईं। हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, पुलिस और सेना का व्यापक उपयोग किया गया, और आंदोलन को दबाने के लिए बल प्रयोग किया गया। कई स्थानों पर आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की गई और कठोर दंड दिए गए।
परिणाम और प्रभाव
हालांकि ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबा दिया, लेकिन इससे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा मिली। आंदोलन ने भारतीय जनता की स्वतंत्रता की आकांक्षा को और मजबूत किया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्वतंत्रता की मांग को बल मिला। ब्रिटिश सरकार को यह अहसास हुआ कि अब भारत पर शासन करना आसान नहीं है और स्वतंत्रता अनिवार्य है।
भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस आंदोलन ने भारतीय जनता को एकजुट किया और स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के लिए मार्ग प्रशस्त करने में इस आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
निष्कर्ष
भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने ब्रिटिश शासन के अंत की नींव रखी। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं की नेतृत्व क्षमता और भारतीय जनता की अटूट संकल्प शक्ति ने इस आंदोलन को सफल बनाया। यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की बहादुरी और बलिदान का प्रतीक है, जिसे सदैव याद रखा जाएगा।