हिन्दू आस्था से इतना बड़ा खिलवाड़ ? तिरुपति बालाजी के प्रसाद में सुअर की चर्बी और फिश ऑयल की पुष्टि, जानें पूरा मामला

20 Sep 2024 12:37:12
 
Tirupati Balaji Prasadam
 
दुनिया भर में तिरुपति बाला जी मंदिर...भारतीय धर्म और आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम की पवित्रता और शुद्धता भंग करने के लिए पिछले CM जगन मोहन रेड्डी पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। आरोप है कि इस मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू बनाने के लिए घी में गोमांस, सुअर की चर्बी और फिश ऑयल मिलाया गया था।
 
 
तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में तिरुपति लड्डू चढ़ाया जाता है. मंदिर का संचालन तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) करता है, जोकि सीधे-सीधे आंध्र प्रदेश सरकार की देख रेख में आता है। आप भी हैरान होंगे..ऐसे कैसे हो सकता है, करोड़ों हिंदूओं की आस्था से इतना बड़ा खिलवाड़ कैसे..इतना बड़ा धोखा कैसे..लेकिन आरोप लगाने वाले स्वयं आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू हैं, जिन्होंने कहा है कि पिछले 5 साल में YSR CP के नेताओं ने तिरुमाला की पवित्रता को नष्ट किया है।
 
 
जगन रेड्डी की सरकार के दौरान, उनके करीबी रिश्तेदार Bhumana Karunakar Reddy बोर्ड के चेयरमैन थे। करूणाकर रेड्डी पर अक्सर क्रिश्चियन फेथ को अपनाने के आरोप लगते रहे हैं। जब Karunakar Reddy की बेटी की शादी, जगन रेड्डी के ही अन्य करीबी रिश्तेदार के साथ हुई, तो शादी क्रिश्चियन परंपरा से हुई, उस दौरान भी करूणाकर रेड्डी पर क्रिश्चियन होने के आरोप लगे थे, लोग मांग कर रहे थे कि ऐसे शख्स को तिरुमला बोर्ड का चेयरमैन नहीं होना चाहिए। लेकिन कुछ नहीं बदला गया। 
 
 
किचन में बनते हैं रोजाना 3.50 लाख लड्डू
 
आपको बता दें कि तिरुपति मंदिर के 300 साल पुराने किचन में रोजाना 3.50 लाख लड्डू बनते हैं। तिरुमाला ट्रस्ट हर साल प्रसादम से सालाना 500 करोड़ रुपए कमाता है। इन लड्डूओं को सिर्फ देश ही नहीं, विदेशों में भी श्रद्धा भाव से भक्त ग्रहण करते हैं, दुनिया भर में फैले करोड़ों हिंदूओं ने तिरुमला के इस लड्डू प्रसाद को अवश्य ही ग्रहण किया होगा। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं को ना सिर्फ श्रद्धालुओं को बांटा गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता रहा। एक झटके में इस खबर ने देश करोड़ो भारतीयों की आस्था और संवेदनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है।
 
 
TDP के प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने गुरुवार, 19 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। उन्होंने बताया कि गुजरात स्थित लाइवस्टॉक लैबोरेटरी, NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड बोर्ड) CALF लिमिटेड (सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड) को 9 जुलाई, 2024 को सैंपल भेजा गया था।
 
 
 
 
 
तिरुपति प्रसादम सैंपल रिपोर्ट क्या-क्या मिला ?
 
 
सोयाबीन
 
नारियल
 
सनफ्लावर
 
कॉटन सीड
 
जैतून का तेल
 
अलसी
 
फिश ऑयल
 
लार्ड
 
बीफ टैलो
 
 
इसमें सबसे खतरनाक बीफ टैलो है, जोकि गाय के मांस को धीमी आंच पर पकाया जाता है। पकाने के बाद सिर्फ फैट रह जाता है। घी के जैसा दिखता है। इसके अलावा एक और सब्सटेंस है, लार्ड, यह सुअर की चर्बी से बनाया जाता है। यह भी चिकना होता है। जिसे आसानी से मिलावट कर सकते हैं। 
 
 
‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ बनाने की मांग 
 
 
राज्य के डिप्टी CM और प्रसिद्ध अभिनेता पवन कल्याण ने इस मामले पर एक स्टेटमेंट जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि- 
 
"पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ में हमारी सरकार हरसंभव सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
 
लेकिन, यह समूचा प्रकरण मंदिरों के अपमान, भूमि संबंधी मुद्दों और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े कई मुद्दों पर चिंतनीय प्रकाश डालता है। अब समय आ गया है कि पूरे भारत में मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अविलंब ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए।
 
 
सभी नीति निर्माताओं, धार्मिक प्रमुखों, न्यायपालिका, आम नागरिकों, मीडिया और अपने-अपने क्षेत्रों के अन्य सभी दिग्गजों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए। मेरा मानना है कि हम सभी को किसी भी रूप में ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए अविलंब एक साथ आना चाहिए।"
 
 
इतना तय है कि मामला बेहद गंभीर है, जिसकी आगे गहराई से जांच होना जरूरी है। इधर मंदिर में अब आगे की निगरानी के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने चार सदस्यीय विशेष समिति बना दी है।
 
 
इस विशेषज्ञ समिति में डॉ बी सुरेंद्रनाथ, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान,
 
विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ),
 
प्रोफेसर बी महादेवन (आईआईएम-बैंगलोर)
 
और तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉ जी स्वर्णलता शामिल की गयी हैं।
 
 
इससे पहले आंध्र के मुख्यमंत्री और TDP सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा था प्रसाद में चर्बी मिलाई जा रही थी। नायडू ने कहा कि जिस कंपनी से घी लिया जा रहा था, उससे कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है, और मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है। एक साल पहले ही कंपनी को सप्लाई का टेंडर मिला था।
 
 
दरअसल YSR CP सरकार ने पिछले साल घी सप्लॉयर बदला था, पिछले 50 साल से कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। हर छह महीने में 1400 टन घी मंदिर में लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। जिसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी।
 
 
TDP सरकार ने इसी साल जुलाई में घी बेचने वाले को ब्लैक लिस्ट किया था, और फिर जून में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एक्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था। जिन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था।
 
 
इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने फिर से कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरु कर दिया।
 
 
ये अद्भुत है कि 300 साल पुरानी किचन ‘पोटू’ में वॉलेन्टियर्स रोजाना शुद्ध देसी घी के रोजाना 3.5 लाख लड्‌डू बनाये जाते हैं। कभी इसकी शुद्धता और गुणवत्ता पर प्रश्न नहीं उठा, क्योंकि हरेक स्तर पर प्रसादम् की शुद्धता का ख्याल रखा जाता है, क्योंकि यहीं मंदिर का मुख्य प्रसाद है, जिसे करीब 200 ब्राह्मण बनाते हैं। लड्‌डू में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी होता है।
 
 
तिरुमला के प्रति सरकारों का ये क्रिमिनल रवैया, पहले इस मंदिर के फंड के दुरुपयोग को लेकर रहा है। आपको पता है कि तिरुमाला का श्री वेंकटेश्वर मंदिर दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है। मंदिर की सालाना कमाई 3,100 करोड़ रुपए है। तिरुपति मंदिर ट्रस्ट के पास 2.5 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है, मंदिर में ही में 2.5 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 10.25 टन सोना है।
 
 
· तिरुमाला तिरुपति मंदिर हर साल दान में मिलने वाले 3,100 करोड़ रुपये में से 85 प्रतिशत राज्य के खजाने में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जिसका अधिकांश इस्तेमाल उन कामों के लिए होता है, जो हिंदू समुदाय से जुड़े नहीं हैं। जरा सोचिए, कोरोना संकट के दौरान इसी मंदिर के 1300 कर्मचारियों को निकाल दिया गया, क्योंकि मैनेजमेंट के पास पैसे नहीं थे! ये मामला सिर्फ तिरूमला से जुटाये गये धन के दुरुपयोग का नहीं रहा, बल्कि ये सीधे-सीधे... करोड़ों भारतीयों की मूल आस्था पर प्रहार है...। जो अक्षम्य है...
 
 
स्पष्ट है इस खबर ने दुनिया भर में फैले करोड़ों आस्थावान भारतीयों को अंदर तक हिला दिया है, जिसकी एक उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच ही इस चोट पर थोड़ा मरहम का काम कर सकती है। साथ ही जरूरी है, ऐसा कुकर्म करने वाले लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये।
 
 
 
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