21 फरवरी,पुण्यतिथि विशेष ; शौर्य चक्र विजेता कैप्टन तुषार महाजन : वीरता और बलिदान की अमिट कहानी

जिनके नाम पर पड़ा उधमपुर रेलवे स्टेशन का नाम, जिन्होंने साथियों की बचाई जान, खुद हुए बलिदान

    21-फ़रवरी-2025
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Captain tushar mahajan jammu kashmir udhampur
 
 
"बलिदान का यही फल होता है, वीरता से जो देश की रक्षा करते हैं, वे इतिहास में सदैव अमर होते हैं..."

 
#RemeberingOurRealHero : हमारे देश की पावन धरा पर ऐसे वीर बेटे जन्म लेते हैं, जिनकी वीरता और बलिदान से न केवल उनका परिवार बल्कि समूचा देश गर्व महसूस करता है। एक ऐसा ही नाम है – अमर बलिदानी कैप्टन तुषार महाजन जिन्होंने अपने बलिदान से यह साबित किया कि सच्चा सैनिक वही होता है जो अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए, अपने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दे।
 
 
परिचय 
 
 
कैप्टन तुषार महाजन का जन्म 20 अप्रैल 1989 को जम्मू संभाग के उधमपुर जिले में हुआ था। उनकी जीवन कहानी अटूट समर्पण और बलिदान की मिसाल है। वह भारतीय सेना की विशेष बल इकाई *9 PARA (SF)* के एक अधिकारी थे। उधमपुर के शिक्षाविद् और सेवानिवृत्त प्रिंसिपल श्री देव राज और श्रीमती आशा गुप्ता के घर जन्मे तुषार महाजन ने बचपन से ही रक्षा बलों में शामिल होने और अपने देश की सेवा करने का सपना देखा था। उनका दिल बचपन से ही सेना में जाने और देश की सेवा करने के लिए धड़कता था। तुषार महाजन का शिक्षा जीवन भी प्रेरणादायक था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उधमपुर के लिटिल फ्लावर कॉन्वेंट स्कूल और हैप्पी मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने भारतीय सेना में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) खडकवसला में दाखिला लिया।
 
 
यहाँ, उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें अन्य सभी से अलग कर दिया। वह न केवल एक उत्कृष्ट छात्र थे, बल्कि एक सक्षम खिलाड़ी भी थे। क्रॉस-कंट्री दौड़ और बॉक्सिंग में उनकी विशेष रुचि थी, और उन्होंने NDA में डिवीजनल कैडेट कैप्टन का प्रतिष्ठित पद भी प्राप्त किया। कैप्टन तुषार महाजन का भारतीय सेना में योगदान अविस्मरणीय था। उन्होंने 2010 में 9 PARA (SF) में कमिशन प्राप्त किया और विशेष बलों के साथ दुर्गम और खतरनाक इलाकों में कई मिशनों का हिस्सा बने। उन्होंने लद्दाख जैसे ऊँचे और कठिन इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया और अपनी बहादुरी और कुशल नेतृत्व का लोहा मनवाया। 
 
 
21 फरवरी 2016 की घटना 
 
 
कैप्टन तुषार महाजन के बलिदान की कहानी 21 फरवरी 2016 को पम्पोर, जम्मू-कश्मीर में घटित हुई। उस दिन आतंकवादियों ने CRPF के काफिले पर हमला किया और EDI (Entrepreneurship Development Institute) के इमारत में घुस गए। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब ऑपरेशन के दौरान 10 PARA(SF) के कैप्टन पवन कुमार बलिदान हो गए। इसके बाद, ऑपरेशन की जिम्मेदारी 9 PARA (SF) को सौंप दी गई, और कैप्टन तुषार महाजन को इस ऑपरेशन का नेतृत्व सौंपा गया।
 
 
कैप्टन तुषार महाजन ने पूरी तरह से रणनीतिक योजना बनाई और अपनी टीम के साथ मिलकर आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए ईडीआई इमारत में प्रवेश किया। यह एक कठिन ऑपरेशन था, क्योंकि आतंकवादी इमारत के विभिन्न हिस्सों में घात लगाए बैठे थे। लेकिन तुषार महाजन ने अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए हर चुनौती का सामना किया। उन्होंने आतंकवादियों से मोर्चा लिया और एक के बाद एक कई हमलों को नाकाम किया।
 
 
अंततः, जैसे ही तुषार महाजन और उनकी टीम तीसरी मंजिल पर पहुंचे, उन्हें आतंकवादियों द्वारा घेर लिया गया। तुषार महाजन, बिना किसी डर के, अपनी टीम को आगे बढ़ाते रहे और आतंकवादियों पर आक्रमण किया। इस दौरान, उन्हें गंभीर रूप से गोली लगी, लेकिन फिर भी उन्होंने आतंकवादियों को नष्ट किया और अपनी टीम के सुरक्षित निकलने का मार्ग प्रशस्त किया। अंततः वे खुद अस्पताल में इलाज के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।  
 
 
 
 
मरणोपरांत शौर्य चक्र 
 
 
दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए कैप्टन तुषार महाजन को मरणोपरांत 'शौर्य चक्र' जैसे उच्चतम सम्मान से नवाजा गया। उनका बलिदान हमारे लिए एक प्रेरणा है, और उनकी वीरता हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेगी। कैप्टन तुषार महाजन का नाम न केवल भारतीय सेना, बल्कि समूचे देश के लिए एक मिसाल बन गया। उनकी वीरता और बलिदान ने यह साबित कर दिया कि सच्चे वीर कभी नहीं मरते, वे हमेशा हमारे दिलों में अमर रहते हैं। कैप्टन तुषार महाजन के सम्मान में वर्ष 2023 में उधमपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'शहीद कैप्टन तुषार महाजन' के नाम पर रखा गया।