आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई: जम्मू-कश्मीर के 2 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त

11 Apr 2025 15:28:09
 
2 govt officer suspeded from his job in jammu kashmir
 
 
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद समर्थकों के खिलाफ चल रही सख्त मुहिम के तहत उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2 और सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। ये कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(C) के तहत की गई है, जिसके तहत सरकार देश की सुरक्षा के हित में बिना पूर्व जांच के किसी सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त कर सकती है।
 
 
इस बार जिन दो कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, उनमें पुलिस विभाग के सहायक वायरलेस ऑपरेटर बशारत अहमद मीर और लोक निर्माण विभाग (PWD) के वरिष्ठ सहायक इश्तियाक अहमद मलिक शामिल हैं। यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हाल ही में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक के महज 2 दिन बाद लिया गया, जो इस बात का संकेत है कि प्रशासन आतंकवाद से जुड़ी किसी भी गतिविधि को लेकर बेहद गंभीर है।
 
 
बशारत अहमद मीर :
 
 
बशारत अहमद मीर, जो श्रीनगर का निवासी है, 2010 में पुलिस विभाग में सहायक वायरलेस ऑपरेटर के रूप में नियुक्त हुआ था। 2017 में न्यायालय के आदेश से उसे नौकरी से हटा दिया गया, लेकिन 2018 में पुनः नियुक्ति मिली। इस दौरान वह जम्मू-कश्मीर पुलिस की कई इकाइयों में सेवाएं दे चुका था।
 
 
दिसंबर 2023 में सुरक्षा एजेंसियों को उसके खिलाफ देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के इनपुट मिले। जांच में सामने आया कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के संपर्क में था और सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा कर रहा था। उसकी तैनाती अति संवेदनशील संस्थानों में रही थी, जिससे उसकी गतिविधियाँ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी थीं। इसी आधार पर उसे सेवा से हटाया गया।
 
 
इश्तियाक अहमद मलिक:
 
 
दूसरे बर्खास्त कर्मचारी, इश्तियाक अहमद मलिक, 2000 से लोक निर्माण विभाग में कार्यरत था। उस पर जमात-ए-इस्लामी और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े होने का आरोप है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, वह न केवल इन संगठनों के लिए काम करता था, बल्कि आतंकियों के लिए नेटवर्क तैयार करने, पनाह देने, भोजन और रसद पहुँचाने जैसे कार्यों में भी शामिल था।
 
 
हिजबुल आतंकी मोहम्मद इशाक की गिरफ्तारी के बाद जब जांच आगे बढ़ी, तो इश्तियाक की संलिप्तता उजागर हुई। मई 2022 में उसे गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में यह भी सामने आया कि बुरहान वानी की मौत के बाद हुई हिंसा में भी वह सक्रिय रूप से शामिल रहा था। 9 जुलाई 2016 को लारनू पुलिस चौकी पर हुई भीड़ द्वारा हिंसक हमले की अगुवाई भी उसी ने की थी।
 
 
अब तक 70 से अधिक कर्मचारी बर्खास्त
 
 
यह उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन अब तक 70 से अधिक ऐसे सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर चुका है, जिन पर आतंकियों से संबंध होने या आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं। यह सभी निर्णय भारत सरकार की व्यापक सुरक्षा रणनीति और 'ज़ीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज़्म' की नीति के तहत लिए गए हैं।
 
 
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वे आतंकियों और उनके सहयोगियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, ताकि प्रशासनिक ढांचे से ऐसे तत्वों को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।
 
 
यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश देती है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के प्रति अब कोई सहानुभूति, कोई छूट नहीं बरती जाएगी। सरकारी तंत्र में बैठे देशविरोधी तत्वों की पहचान कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक कदम है, और उपराज्यपाल प्रशासन उसी दिशा में निर्णायक गति से बढ़ रहा है।
 
 
 
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